पूरनपुर के जिले में अब तक बाघ और तेंदुआ जानलेवा साबित हो रहे थे। सालों से हाथी नेपाल से जिले के जंगलों मेंं आते और आसपास खेतों में फसलें खाने और नुकसान के बाद चले जाते थे, लेकिन अब पीलीभीत में हाथी भी जानलेवा होने लगे हैं। 20 दिन में हाथियों के हमले से जिले में यह तीसरी मौत है।
नेपाल की शुक्ला फंटा सेन्च्युरी से हाथी सालों से पीलीभीत के जंगलों में आ रहे हैं। हाथी जंगल से सटे खेतों में घुसकर फसलें खाते और रौंदते रहे हैं। झोंपड़ियों को तहसनहस करना, पंपिंग सेट के इंजनों को पलटना भी हाथियों की आदत में शुमार है। हाथी जानलेवा साबित नहीं होते थे, लेकिन नेपाल से आ रहे हाथी अब जानलेवा साबित होने लगे हैं।
बीती 26 सितंबर को पूर्व कलीनगर तहसील के गांव मूसापुर निवासी रमेश (४२) गांव टांडा छत्रपति निवासी बाबूराम व सुरेंद्र पर हाथियों ने हमला कर दिया था। इनमें सुरेंद्र और बाबूराम की मौत हो गई थी। घटना को अभी 20 दिन ही हुए थे कि रविवार की रात करीब एक बजे खेत में झोंपड़ी में सो रहे सेहरामई उत्तरी के गांव चलतुआ में हाथी ने हमला कर 60 वर्षीय किसान गोपी को मार डाला। हाथियों ने सूड़ से उठाकर गोपी को 20 मीटर दूर फेंक दिया था। घटना की जानकारी होने पर प्रधान अनिल कुमार समेत दर्जनों लोग मौके पर पहुंच गए। आसपास के गांव के लोग भी इकट्ठा हो गए। ग्रामीणों में घटना को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। गोपी के पत्नी सुमित्रा देवी के अलावा बेटा सीताराम, राधेश्याम, घनश्याम व बेटी चांदनी है।सेहरामऊ उत्तरी पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। परिजन का रो रोकर बुरा हाल है। घरवालों का कहना है कि वन विभाग लंबे समय से टालमटोल कर रहा है, जबकि हाथी पिछले 20 दिन से यहां उत्पात मचा रहे हैं। जोगराजपुर के बिजेंद्र शुक्ला, नवदिया दुर्जनपुर के बल्देव सिंह, गोविंदपुर के अमरनाथ, मोहनपुर के राजाराम आदि ने बताया कि हाथियों ने उनके खेत पिछले दिनों बर्बाद कर दिए। वन अफसरों से शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।