पीलीभीत में ई-रिक्शों का नहीं कोई रूट तय, मनमाने संचालन से यातायात व्यवस्था ध्वस्त

पीलीभीत के शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन उन पर अमल होता नहीं दिखता। हर महीने पुलिस लाइन में व्यापारियों के साथ बैठक होती है। अतिक्रमण और जाम पर खूब चर्चा होती है। कागजों पर रणनीति भी बनती है लेकिन नतीजा सिफर ही रहता है। शहर की सड़कों पर पांच हजार से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। इनका न तो कोई रूट तय है और न स्टैंड। मनमाने संचालन और जहां-तहां खड़े रहने से जाम लगता है।

शहर में सुनगढ़ी थाने के पास, छिपियान मस्जिद से ड्रमंडगंज चौराहे तक, लोहामंडी, जाटों वाला चौराहा, बरेली गेट, चूड़ी वाली गली आदि जगहों पर दिन भर जाम लगा रहता है। कहने को चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है, लेकिन पुलिसकर्मी भी ई-रिक्शा चालकों को रोकते-टोकते नहीं हैं। इस समय त्योहारी सीजन के चलते बाजार में भीड़ बढ़ने लगी है। ऐसे में बेतरतीब संचालन से ई-रिक्शा यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बनते जा रहे हैं।

सहायक संभागीय परिवहन विभाग के कार्यालय में वर्ष 2017 से ई-रिक्शों का पंजीकरण प्रारंभ हुआ। विभाग में अब तक महज ढाई हजार ई-रिक्शों का ही पंजीकरण हो सका है, जबकि शहर में पांच हजार से ज्यादा ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इसके अलावा 725 ऑटो-टेंपो पंजीकृत हैं। वर्ष 2017 से पहले डीलर बगैर पंजीकरण के ही ई-रिक्शा बेच रहे थे। अब ई-रिक्शा के साथ उसका रजिस्ट्रेशन नंबर भी मिलता हैै।

हर बैठक में उठाते हैं जाम का मुद्दा
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष अनूप अग्रवाल ने बताया कि हर माह पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक में शहर में जाम और यातायात का मुद्दा उठता है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई कुछ नहीं करते। अधिकारियों से कहा था कि सुबह आठ बजे बच्चे स्कूल जाते हैं, उस वक्त गैस चौराहे पर ई-रिक्शों को आने से रोका जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने सलाह दी थी कि ई-रिक्शा से दाहिनी तरफ से यात्री न उतर सकें, इसके लिए पाइप लगवाए जाएं, ताकि सवारियां एक तरफ से ही उतरें और जाम न लगे। इसके साथ ही ई-रिक्शों के रूट तय किए जाएं।

पंजीकरण कराओ या न कराओ, कोई फर्क नहीं पड़ता। अधिकारियों को कार्रवाई करनी है, तो चाहे कितने भी नियमों का पालन क्यों न कर लो, कर ही देते हैं। – परमानंद, ई-रिक्शा चालक चंदोई

कभी खाकी (पुलिस) तो कभी सफेद वर्दी (ट्रैफिक पुलिस) वाले चालान कर देते हैं। हजार रुपये से ऊपर का चालान हो रहा है और अगर पांच-छह सौ रुपये का चालान करते हैं तो पर्ची ही नहीं देते हैं। पता नहीं यह कौन सा नियम है। – दिनेश कुमार, ई-रिक्शा चालक मोहनपुर।

अब जितने भी ई-रिक्शा नए आ रहे हैं, सभी का पंजीकरण कराया जा रहा है। समय-समय पर अभियान चलाकर इन पर कार्रवाई भी की जा रही है। – वीरेंद्र सिंह, एआरटीओ