ब्रह्मांड में है इतने तारे कि धरती और सूर्य जैसे ग्रह है नगण्य

आकाश में अब तक का सबसे चमकीला तारा लुब्धक या व्याध माना जाता है। यह धरती से तकरीबन 9 प्रकाश वर्ष दूर है। वैज्ञानिक तारों की दूरियां मापने के लिये एक और पैमाने का इस्तेमाल करते हैं। जिसे पारसेक कहते हैं। एक पारसेक 3.26 प्रकाश-वर्षों के बराबर होता है। सूर्य धरती से लगभग 8 मिनट और 18 प्रकाश सेकेंड दूर है। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच की इस दूरी को खगोलीय इकाई या खगोलीय एकक कहते हैं।

सूर्य सौरमंडल में अन्य तारों की तुलना में अधिक बड़ा और प्रकाशमान प्रतीत होता है लेकिन बता दे कि विशाल ब्रह्मांड में यह सूरज महासागर की एक बूंद के बराबर भी नही है। ब्रह्मांड में हमारे सूरज से बड़े कई तारें है जो इस सूरज के द्रव्यमान से कई गुना अधिक ब़डे है। इसका अंदाजा भी हम नहीं लागा सकेत हैं। जैसी आकाशगंगा है वैसी तो इसे भी बड़ी आकाशगंगायें वैज्ञानिकों ने खोज निकाली है।

कई आकाशगंगाये जो ऐसी है जिनमें हमारे सूरज जैसे कई तारे है जो धधरते हुये और अधिक प्रकाशमान है। इसी कारण से वैज्ञानिक ब्रह्मांड में खोज रहे है कि सूरज जैसे कई ग्रह हो सकते है तो धरती जैसे भ कई ग्रह हो सकते है। वैसे वैज्ञानिकों ने ऐसे ग्रह खोज लिए हैं दो हुबहु धरती जैसे दिखते है लेकिन उन पर अभी किसी जीवन की खोज नहीं की गई है। इसलिए सूर्य आकाश का एक सामान्य तारा माना जा सकता है। वास्तविकता तो यह है कि अन्य तारों की अपेक्षा सूर्य पृथ्वी के अधिक नजदीक है इसलिए हमें यह अधिक प्रकाशमान तथा शक्तिशाली प्रतीत होता है।