पीलीभीत में जमुनिया में पकड़ी गई बाघिन को पीलीभीत टाइगर रिजर्व में छोड़ा, गेस्ट हाउस में रातभर दहाड़ती रही

पीलीभीत में जमुनिया गांव से पकड़ी गई बाघिन को 24 घंटे बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के जंगल में छोड़ दिया गया। बुधवार को माला गेस्ट हाउस में स्वास्थ्य परीक्षण के बाद अफसरों और चिकित्सकों की निगरानी में बाघिन को रेस्क्यू वाहन से ले जाकर जंगल में छोड़ा गया। बाघिन के पूरी तरह स्वस्थ होने का दावा किया जा रहा है। वहीं पूरी रात माला गेस्ट हाउस में बाघिन की दहाड़ गूंजती रही। वन अफसर बाघिन की उम्र साढ़े तीन साल बता रहे हैं।

माधोटांडा क्षेत्र में तीन माह से दहशत का पर्याय बनी बाघिन को दो आपरेशन की विफलता के बाद मंगलवार को जमुनिया गांव में आबादी के निकट गन्ने के खेत से रेस्क्यू कर पकड़ा गया था। चिकित्सक के चार डॉट मारने के बाद बाघिन पकड़ में आ सकी थी।

रेस्क्यू के बाद बाघिन को माला गेस्ट हाउस ले जाया गया। जहां चिकित्सक की निगरानी में बाघिन का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके बाद अफसर बाघिन को छोड़ने को लेकर मंथन में जुटे रहे। बुधवार शाम करीब पांच बजे एसडीओ मयंक पांडे, डॉ दक्ष गंगवार की निगरानी में बाघिन को पीटीआर के जंगल में ही छोड़ दिया गया।

बकरे का खाया मीट, पिंजरे में लगाती रही दहाड़

रेस्क्यू के बाद बाघिन को पिंजरे में कैद कर माला गेस्ट हाउस ले जाया गया था। चिकित्सक द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। मंगलवार देर शाम बाघिन को होश आ गया। डॉट की गर्मी खत्म करने के लिए पिंजरे के अंदर ही पाइप से काफी देर तक बाघिन के शरीर पर पानी डाला गया। इसके बाद बाघिन को खाने के लिए बकरे का मीट डाला गया। पिंजरे में बाघिन दहाड़ लगाती रही।

बाघिन को देखने की लगी होड़

दहशत का पर्याय बनी बाघिन को पकड़े जाने के बाद माला गेस्ट हाउस में पहुंचने की सूचना मिलते ही कई विभागों के अफसर दीदार करने के इच्छुक दिखे। मंगलवार रात से लेकर बुधवार तक कई विभागों के अफसर परिवार के साथ बाघिन को देखने के लिए पहुंचे।