पीलीभीत में जंगल के किनारे गांवों को सुरक्षित करने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) प्रशासन जाल बंदी कराने की तैयारी बीते छह माह से कर रहा है। पहले बिना बजट जारी हुए ही इसके लिए टेंडर निकाल दिया गया था, जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया। अब जब आपदा राहत से भारी भरकम बजट जारी किया गया तो एक बार फिर टेंडर निकाले गए हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर लगातार बाघों की चहलकदमी जारी है। इसमें सबसे अधिक जंगल किनारे के गांव प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों की मांग पर अधिकारी बीते करीब छह माह से जाल बंदी कराने का आश्वासन दे रहे हैं। यह आश्वासन मात्र कागजों तक ही सीमित रह गया है। लापरवाही का आलम यह है कि अधिकारियों ने बिना बजट के ही इस काम के लिए टेंडर निकाल दिया। जब टेंडर खुलने की नौबत आई तो बजट के अभाव में इसे निरस्त कर दिया गया। ऐसे में जाल बंदी का काम शुरू ही नहीं हो सका।
अब एक बार फिर से अधिकारियों ने माला, बराही और महोफ रेंज के जंगल से लगे क्षेत्र में 25 किलोमीटर तक जाल बंदी के लिए टेंडर निकाले हैं। बताया जा रहा है कि इसके लिए आपदा राहत से सात करोड़ से अधिक की धनराशि दी गई है। यह टेंडर अब 18 अक्तूबर को खोले जाने हैं। उधर, अधिकारियों की ओर से कागजों में काम होने और कोरे आश्वासन से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है। ग्रामीणों को बाघों के आतंक से राहत नहीं मिल पा रही है। अब देखना यह है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी हो पाती है कि इस बार भी निरस्त कर दी जाएगी।
माला, बराही और महोफ में काम के लिए प्रक्रिया चल रही है। टेंडर होने के बाद पहले माला रेंज से जाल को लगाने का काम शुरू किया जाएगा। – नवीन खंडेलवाल, डीडी, टाइगर रिजर्व