मैनपुरी में शिक्षकों ने किया कार्य बहिष्कार , बोर्ड परीक्षा की कॉपियों की जांच ठप

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शिक्षक की हत्या से मैनपुरी के शिक्षकों में गुस्सा देखा गया। मामले में प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों की मांगो की अनदेखी पर उनमें आक्रोश है। शनिवार को सभी शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों के निर्देशन में शिक्षक लामबंद हुए। उन्होंने यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार कर दिया। आक्रोशित शिक्षकों ने जिले में मांगें पूरी न होने तक मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। देर शाम तक किसी भी केंद्र पर एक भी उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन नहीं किया गया। वाराणसी में शिक्षक की हत्या मामले को लेकर 18 मार्च को जिले के शिक्षकों ने आंशिक मूल्यांकन का बहिष्कार कर अपनी मांगें सरकार के सामने रखी थीं। 22 मार्च की शाम को सरकार ने शिक्षक के लिए 25 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की। सहायता राशि कम होने की बात कहकर शिक्षक संगठनों में आक्रोश फैल गया। राजकीय शिक्षक संघ, माध्यमिक शिक्षक संघ, वित्तविहीन शिक्षक संघ, अटेवा आदि के पदाधिकारियों ने सुबह से ही मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया। शिक्षक प्रतिनिधियों ने साथियों के साथ राजकीय इंटर कॉलेज मैनपुरी, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मैनपुरी, जैन इंटर कॉलेज करहल, नर सिंह यादव इंटर कॉलेज करहल पर प्रदर्शन किया। माध्यमिक शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य कृष्णानंद दुबे ने कहा कि मृतक शिक्षक को कम से काम एक करोड़ की सहायता राशि मिले। प्रधानाचार्य यदुवीर नरायण दुबे ने कहा कि राजकीय हाईस्कूल महगांव वाराणसी का नाम मृतक शिक्षक के नाम से रखा जाए।

नहीं दर्ज की गई थी हत्या की रिपोर्ट

अटेवा के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी तक मामले में हत्या की रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई है। सरकार हत्या के इशारे पर पुलिस हत्या के मामले को दुर्घटना दिखाने में जुटी हुई है। शिक्षक इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रदर्शन करने वालों में संतोष शाक्य, उपदेश यादव, राजेंद्र सिंह, उदयवीर सिंह, मुकेश कुमार आदि शिक्षक शामिल थे।

अधिकारियों की चेतावनी से भी नहीं रुके शिक्षक

शिक्षकों क मूल्यांकन कार्य बहिष्कार को लेकर सरकार के निर्देश पर डीआईओएस ने जिले के सभी शिक्षकों को ग्रुप के माध्यम से चेतावनी दी कि वे मूल्यांकन कार्य करें नहीं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों की चेतावनी पर शिक्षकों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं और मृतक शिक्षक के परिवार को न्याय नहीं मिलता मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया जाएगा।