डब्ल्यूएचओ (WHO) के एक विशेषज्ञ समूह ने कहा है कि कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए और अध्ययन किए जाने की जरूरत है। इसमें कोरोना वायरस के लैब से मनुष्यों में फैलने की संभावना का विस्तार से विश्लेषण भी शामिल है। डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के उत्पत्ति की जांच में मदद के लिए इस समूह का गठन किया था। विशेषज्ञ समूह का यह रुख संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेसी की वायरस के मूल को लेकर की गई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट से एकदम उलट है। पिछले साल डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि इसकी संभावना न के बराबर है कि कोरोना वायरस लैब में किसी दुर्घटना की वजह से लीक होकर मनुष्यों में फैला होगा।
गुरुवार को जारी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ समूह ने कहा कि आंकड़ों की वह कड़ी अभी भी नहीं मिल रही है, जिसके आधार पर यह जाए कि कोरोना महामारी कैसे शुरू हुई। विज्ञानियों के समूह ने कहा है कि वह भविष्य में सामने आने वाले सभी तरह के वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर जांच की अनुमति देने के पक्ष में है। समूह ने कहा है कि अतीत में प्रयोगशालाओं (लैब) में दुर्घटनाओं से कुछ महामारियां फैली हैं, इसलिए इस मामले में भी इसकी संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता
विशेषज्ञों ने जंगली जानवरों की जांच समेत कई तरह के अध्ययन का आह्वान किया है। बता दें कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह आरोप लगाते रहे हैं कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला था। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर भी चीन के साथ मिलीभगत कर इस वायरस के प्रसार की बात को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
बता दें कि देश में एक बार फिर कोरोना ने रफ्तार पकड़ी है। बृहस्पतिवार को 24 के दौरान दिल्ली में कोरोना के 622 नए मामले सामने आए हैं और सभी ओमिक्रोन वैरिएंट हैं। इसके साथ ही 537 मरीज ठीक भी हुए हैं, जबकि कोरोना संक्रमण दर 3.17 पहुंच गई है, जो एक तरह से चिंता की बात है।