लाल टोपी में करेंगे रामलला के दर्शन सपा मुखिया अखिलेश यादव

अयोध्या में रामलला मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। अब लाल टोपी पहनकर सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने कार्यकर्ताओं के साथ रामलला के दर्शन की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, 3 दशक बाद भाजपा का नारा बदल गया है। वोटर लिस्ट तैयार भी हो चुकी है। अब अफसरों के ट्रांसफर की लिस्ट का इंतजार है।
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हो चुका है। लेकिन कार्यक्रम की चर्चा अभी भी राजनीति के पावर कॉरिडोर में हो रही है। दरअसल, प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरुआत और समापन ‘सियावर रामचंद्र की जय’ से की। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मनोभाव की शुरुआत रामलला भगवान की जय से और समापन जय-जय सीताराम से किया। अब सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा है कि कैसे.. ‘जय श्रीराम’, जो राम मंदिर आंदोलन का सबसे प्रमुख नारा रहा, वो मंच से कहीं सुनाई नहीं दिया।
दरअसल, 1989 में ही जब भाजपा ने पालमपुर में राम मंदिर को लेकर अपना संकल्प लिया था, तभी से जय श्रीराम का नारा राम मंदिर आंदोलन में सबसे प्रमुख नारा बन गया था। फिर 1990 में चाहे लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रही हो या फिर 1992 में हुई कारसेवा रही हो।
हमेशा ही जय श्रीराम का नारा मंदिर आंदोलन में शामिल लोगों के मुख पर रहा। तीन दशक तक जय श्रीराम का नारा राम मंदिर आंदोलन का सबसे प्रमुख नारा रहा। लेकिन 2024 में जब मंदिर का निर्माण हो गया, तो जय श्रीराम की जगह सियावर रामचंद्र की जय और जय-जय सीताराम बड़े बदलाव के संकेत दे रहे हैं।
जय श्रीराम अभिवादन का ओजस्वी तरीका भी माना जाता है। अब शायद जय श्रीराम की बजाय सियावर रामचंद्र की जय.. इसलिए कहा गया, क्योंकि इसमें कोमलता और विनम्रता है। इसमें राम भी हैं और सीता भी हैंं। प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से ये बात भी कही कि राम आग नहीं, बल्कि ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, बल्कि समाधान हैं। इसीलिए यह बदलाव भी देखने को मिला। इसके जरिए एक संदेश भी दिया गया है कि राम काज में सब मिलजुल कर आगे बढ़ेंगे।
सपा मुखिया ने पहले कहा कि उन्हें राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण नहीं मिला, फिर उन्होंने कूरियर की रसीद भी मांग ली थी कि उन्हें निमंत्रण किसने भेजा वो रसीद दिखाए। हालांकि बाद में एक पत्र लिखकर उन्होंने निमंत्रण मिलने की बात स्वीकार की और इसके लिए ट्रस्ट को धन्यवाद भी दिया।उन्होंने लिखा कि वह परिवार के साथ मंदिर में दर्शन करने के लिए आएंगे। लेकिन अब पता चल रहा है कि सपा मुखिया ने रामलला के दर्शन को लेकर बड़ी तैयारी की है।
दरअसल, उनकी तैयारी है कि वह पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ से अयोध्या जाएंगे, और सड़क मार्ग से जाएंगे। आम दर्शनार्थी की तरह कतार में लगकर रामलला का दर्शन करेंगे। इस दौरान सभी के सिर पर लाल टोपी भी होगी। यह पूरी प्लानिंग पार्टी के प्रमुख ने तैयार की है। हालांकि वह कब अयोध्या जाएंगे? तारीख अभी निश्चित नहीं है।
वहीं, प्राण प्रतिष्ठा के दिन जिस तरह से पार्टी मुखिया ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट किया, उसके जरिए भी उन्होंने साफ संदेश दिया कि सियाराम उसके हृदय में बसते हैं, जो रीति नीति और मर्यादा का मान रखते हैं। इससे लगता है कि अब इस राम मय माहौल में राम नाम के सहारे ही उन्होंने भी आगे बढ़ने की तैयारी का मन बना लिया है।
लोकसभा चुनाव करीब आ गया है। नई वोटर लिस्ट भी तैयार हो चुकी है। DM, ADM और SDM तबादलों पर लगी भी रोक भी हट गई है। अपॉइंटमेंट करने वाले डिपार्टमेंट ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। खासतौर से उन जिलों के अफसरों की लिस्ट तैयार कर रही है, जो 3 साल या उससे अधिक समय से एक ही जिले में तैनात हैं।
दरअसल, इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइन है कि जो अफसर 3 साल से अधिक समय से एक जिले ही में तैनात है, वो उस जिले में चुनाव नहीं कराएगा। इसीलिए सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि विभाग जो लिस्ट तैयार कर रहा है, उसे लेकर अफसरशाही में खूब हलचल है। ऐसे में एक जिले में 3 साल से तैनात अफसरों को चिंता सता रही है कि उन्हें दूसरे जिले में तैनाती मिलेगी या नहीं या कहीं और भेज दिया जाएगा।
इसलिए अफसर भी एक्टिव हो गए हैं और सियासी गलियारों में गुणा गणित सेट करने में लग गए हैं। अफसर अब इसी ताक में है कि अगर एक जिले से हटाया जाए, तो वैसे जिले में भेजा जाए। जहां चुनाव के नजरिए से उनके लिए आसानी रहे। हालांकि बीते साल ही तमाम ऐसे अफसरों को शासन ने नई जगह पर तैनाती दे दी थी, जो 3 साल या उससे अधिक समय से एक ही जगह पर तैनात रहे थे।
फिर भी चुनाव से पहले एक बार फिर ट्रांसफर मेल तेज रफ्तार से चलने वाली है, जिसे लेकर जिले के अफसरों में बेचैनी नजर आ रही है, क्योंकि अफसर भी यह जानते हैं कि तबादला कहीं अगर ऐसी जगह हो गया, जहां चुनावी नतीजे ठीक नहीं आए, तो उसके बाद कहीं वेटिंग में बैठकर इंतजार न करना पड़े।