पटना (बिहार) : प्रथम श्रेणी, वर्ग – 1, कृषि विभाग, बिहार सरकार में उप निदेशक के पद से भूषित सेवानिवृत्त अरुण कुमार सिन्हा इस मृत्युलोक को छोड़कर वैकुण्ठलोक की ओर प्रस्थान कर गये और इसकी सूचना उनके द्वितीय पुत्र अजीत सिन्हा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कायस्था फाउंडेशन, कार्यकारी सम्पादक कायस्था चेतना सहित अन्य संस्थाओं से जुड़े समाज और राष्ट्रसेवी से प्राप्त हुई है।
सेवानिवृत्त अधिकारी श्री अरुण सिन्हा की गिनती तत्कालीन सेवाकाल में एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में होती थी और उनकी ईमानदारी का ये आलम था कि वे अपने सेवाकाल के दौरान अपने या अपने परिवार के लिए एक गृह भी नहीं बनवा सके और जीवनपर्यंत किराये के मकान में ही अपने जीवन को यापन किया।
अपनी सेवानिवृत्त के बाद उनकी पत्नी श्रीमती सुकन्या देवी भी केवल पचपन साल की उम्र उनका साथ छोड़कर चली गई और उसके बाद वे समय – समय पर अपने तीनों पुत्रों और चार पुत्रियों के साथ ही रहे जिनमें सबसे अधिक समय उनका द्वितीय पुत्र अजीत सिन्हा के साथ देवनगरी, दुग्धा, बोकारो, झारखंड में बीता लेकिन अपनी अधिकतर समय बिहार में ही बिताई और कुछ काल तक वे दिल्ली भी निवासरत रहे।
चित्रगुप्तवंशीय कायस्थ कुलभूषण शिव कुल के 85 वर्षीय दिवंगत श्री सिन्हा का बाल्यकाल गरीबी में ही बीता लेकिन लालन – पालन में उनके माता – पिता ने कोई कमी नहीं रखी क्योंकि वे अपने पाँच भाई – बहनों में पिता स्वर्गीय मुन्शी शीतल प्रसाद माता स्वर्गीय कमला देवी के इकलौते पुत्र थे और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा – दीक्षा ग्राम – कुंडा, औरंगाबाद, बिहार से हुई तत्पश्चात् किशोरा अवस्था की पढ़ाई उन्होंने जिला स्कूल, औरंगाबाद से की जहां प्रवेशिका (मैट्रिकुलेशन) की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की और वे पूरे गया जिले के उस साल टॉपर विद्यार्थि के रूप में चिन्हित हुये क्योंकि उस समय औरंगाबाद भी गया जिले के अंतर्गत ही आता था हालांकि वर्तमान समय में औरंगाबाद बिहार का एक समृद्ध जिला है। आगे की स्नातक तक की पढ़ाई भी उन्होंने सिन्हा कॉलेज, औरंगाबाद से ही की हालाँकि उस समय उनकी सलेक्शन पटना साइंस कॉलेज, पटना विश्विद्यालय में हो गई थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वज़ह से वे पटना से अपनी पढ़ाई नहीं कर सके।
दुग्ध (दूध) – रोटी के प्रेमी शुद्ध शाकाहारी भोजन के दिवाने दिवंगत श्री सिन्हा का पूरा जीवन बेहद सादगी ढंग से ही बीता और जब तक स्वास्थ्य ठीक था वे साइकिल से 10 किलोमीटर की यात्रा फुलवारी शरीफ से पटना कर बिहार की सरकार को अपनी सेवा दिये। सेवा के अंतिम काल में इन्हें प्रथम श्रेणी , वर्ग – 1 के अधिकारी के रूप में इन्हें कागजी प्रोन्नति बिहार की सरकार द्वारा दी गई लेकिन उन्हें किसी भी तरह का वैतनिक लाभ वर्ग – 1 का नहीं मिलना इन्हें पेंशन काल तक कचोटता ही रहा जो कि बिहार सरकार की नाकामी की निशानी ही है हालांकि एक बार शिकायत के वाबजूद उन्होंने आगे अपनी शिकायत दर्ज नहीं करायी।
दिवंगत श्री सिन्हा अपने साथ भरापूरा परिवार छोड़कर गये हैं जिनमें तीन पुत्र और चार पुत्रियों के साथ चार दामाद (एक दामाद दिवंगत), तीन बहुएं, पाँच पौत्र, दो पौत्री, पांच नाती, नौ नतिनी, सात नतिन दामाद, दो नतिन पुतोह इत्यादि भी हैं और उनके देहवासन के बाद के सभी कर्मकांड उनके बड़े पुत्र अभय सिन्हा के निवास स्थान ग्राम – कुरकुरी, फुलवारी शरीफ, पटना से संपन्न हो रही है।