सपा प्रमुख अखिलेश यादव सोमवार को अचानक चाचा शिवपाल यादव से मिलने उनके लखनऊ आवास पहुंचे। बंद कमरे में एक घंटा 15 मिनट तक मुलाकात हुई। सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में यूपी की राजनैतिक गतिविधियों के साथ ही संगठन विस्तार पर चर्चा हुई। साथ ही शिवपाल के बेटे आदित्य यादव को पार्टी में अहम पद देने पर भी बात हुई।
अखिलेश ने बाहर आकर मीडिया से बात नहीं की। वह काफिले के साथ सीधे अपने आवास चले गए। मैनपुरी लोकसभा उप-चुनाव के बाद दोनों नेताओं की लखनऊ में यह पहली मुलाकात है। हालांकि अभी तक इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। लेकिन मुलाकात के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों की मानें तो अखिलेश चाचा शिवपाल को किसी भी स्थिति में नाराज नहीं करना चाहते हैं
पार्टी से जुड़े एक कार्यकर्ता के मुताबिक, पार्टी के पदाधिकारी सिर्फ वर्ग विशेष ही नहीं, हर जाति के लोगों से मिलकर ग्राउंड लेवल पर काम कर रही है। वोट बैंक को बढ़ाने के लिए हर वर्ग और जाति को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
कार्यकर्ता के मुताबिक, पार्टी को शिवपाल के राजनैतिक अनुभव और उनकी यादव बेल्ट में पकड़ का फायदा मिलेगा। इसके लिए यादव बाहुल्य सीट इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, औरैया, फर्रुखाबाद और कन्नौज के लिए अलग से रणनीति तैयार की जा रही है। वहीं आजमगढ़, रामपुर, बिजनौर, गाजीपुर और पश्चिमी यूपी के लिए अलग रणनीति तैयार की जा रही है।
बता दें, विधानसभा चुनाव 2017 से पहले यादव परिवार में अलगाव की खबरें आई थीं। उस दौरान शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर अपना अलग दल बनाया था। उन्होंने 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा था। लेकिन परिणाम मन मुताबिक नहीं आए थे। 2022 विधानसभा चुनाव अखिलेश और शिवपाल साथ लड़े, लेकिन परिणाम वही रहे थे। चुनावों के बाद चाचा-भतीजे के बीच तल्खियां बढ़ती गई।
यहां तक कि अखिलेश ने पत्र जारी कर कहा था, शिवपाल को जहां सम्मान मिले वहां चले जाएं। इस पर शिवपाल ने भी जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि वह तो हमेशा से स्वतंत्र रहे हैं। लेकिन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दोनों के बीच दूरियां कम हो गईं। अखिलेश भी सपा को एकजुट करने की कवायद शुरू की।
इसी कड़ी में चुनाव के दौरान अखिलेश ने डिंपल के साथ शिवपाल के आवास पर जाकर मुलाकात की। इसके बाद सपा ने स्टार प्रचारकों में शिवपाल का नाम शामिल किया। फिर अखिलेश ने चुनावी मंच पर चाचा शिवपाल के पैर छुए। शिवपाल भी बहू डिंपल के लिए खूब रैलियां की। इससे धड़ों में बंटे समर्थकों ने एकजुट होकर वोटिंग की।
इसी का नतीजा रहा कि मैनपुरी लोकसभा चुनाव में सपा ने रिकॉर्ड जीत हासिल की। डिंपल ने भाजपा के रघुराज शाक्य को 2,88,461 वोटों हरा दिया। डिंपल के जीतने के बाद अखिलेश ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर चुके शिवपाल को सपा का झंडा देकर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कराया था।
समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव की विरासत मैनपुरी को बचाने में एक बार फिर कामयाब हो गई है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। डिंपल ने भाजपा के रघुराज शाक्य को 2,88,461 वोटों हरा दिया है। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व डिंपल यादव नवीन मंडी परिसर पहुंचे। यहां जिला निर्वाचन अधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने उन्हें जीत का प्रमाणपत्र सौंपा। यहां पढ़ें पूरी खबर..
यूपी के सैफई से रविवार को राजनीति की बेहद खास तस्वीर सामने आई। मौका था डिंपल यादव के समर्थन में हो रही जनसभा का। इसमें शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव मौजूद थे। इसी बीच मंच पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहुंचते हैं और झुककर चाचा शिवपाल के पैर छू लेते हैं। शिवपाल भी बिना देर किए अखिलेश को जीत का आशीर्वाद दे देते हैं। डिंपल यादव के समर्थन में यह पहली रैली है, जिसमें शिवपाल पहुंचे। यहां पढ़ें पूरी खबर
शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी यानी प्रसपा का विलय समाजवादी पार्टी में हो गया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को पार्टी का झंडा सौंपा। अखिलेश ने शिवपाल का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद दोनों काफी देर तक कार्यकर्ताओं के बीच में साथ-साथ बैठे नजर आए। शिवपाल ने कहा कि अब कभी सपा का झंडा गाड़ी से नहीं उतरेगा।