शाहजहांपुर में अब तक जिले में पराली जलाने की 20 घटनाएं हो चुकी हैं। इनके साथ ही जिला प्रदेश में चौथे स्थान पर है। अलीगढ़ 62 मामलों के साथ पहले नंबर पर तो 45 मामलों के साथ मथुरा दूसरे नंबर पर है। पीलीभीत में पराली जलाने के 36 मामले प्रकाश में आए जिसके बाद यह जिला तीसरे स्थान पर है।
हालांकि, पिछले वर्ष जनपद पराली जलाने के मामले में 300 से अधिक घटनाओं के साथ प्रदेश में पहले नंबर पर था। इसकी वजह से जिला प्रशासन की काफी किरकिरी हुई थी। इस बार प्रशासन ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही जिले में तीन बड़ी कार्यशालाएं कीं जिसमें किसानों को जागरूक किया गया था। तहसील स्तर पर एसडीएम की निगरानी में राजस्व विभाग की टीमें और कृषि विभाग की 86 टीमों को लगाया गया था। टीमों ने पहले गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को जागरूक किया था। इसके बाद भी घटनाएं होने लगी। टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं, लेकिन किसान मौका देखकर पराली में आग लगा देते हैं। प्रशासन पराली को एकत्र कराकर गोशाला में पहुंचा रहा है। कई स्थानों पर पराली जलाने की आशंका प्रशासन की टीम ने खेत में जोताई करा दी। प्रशासन के प्रयास से पिछले वर्ष घटनाएं कम हुई हैं।
पिछले वर्ष की अपेक्षा इस पर पराली जलाने की घटनाओं पर काफी अंकुश लगा है। इसमें ग्रामीणों के साथ प्रशासन की टीम का सहयोग है। लोगों से अपील है कि वह पराली न जलाएं। इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।- डॉ. सुरेश कुमार, एडीएम वित्त एवं राजस्व