पीलीभीत के असम चौराहे से पूरनपुर की दूरी करीब 43 किलोमीटर है। पीलीभीत डिपो के अलावा उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की अन्य बसों के टिकट पर भी इतनी ही दूरी लिखी होती है, लेकिन उत्तराखंड की रोडवेज बसों के टिकट पर यह दूरी 36 किमी दर्ज होती है। किराया भी इसी के मुताबिक वसूला जा रहा है। उत्तराखंड की बसों में पूरनपुर तक 36 किलोमीटर की दूरी का किराया 50 रुपये लिया जाता है जबकि पीलीभीत डिपो की बसें 43 किलोमीटर दूरी दिखाकर 62 रुपये किराया वसूलती हैं।
रोजाना सफर करने वाले यात्रियों में किराए के इस अंतर को लेकर असमंजस की स्थिति बन रहती है। लोगों का मानना है कि जब उत्तराखंड की बसें 50 रुपये में पूरनपुर का सफर करा रही हैं, तो स्थानीय डिपो की बसों में अधिक किराया क्यों वसूला जा रहा है। इस बाबत एआरएम पवन कुमार श्रीवास्तव ने बताया है कि दूरी का मशीन से सर्वे किया जाता है। किसी भी स्टेशन की दूरी विभागीय टीम स्थानीय डिपो से मशीन से नापती है। इसके बाद ही यात्रियों से किराया लिया जाता है। उत्तराखंड के मानकों से उनका कोई लेना देना नहीं है।
अधिकारी भी हैरान
अधिकांशत: परिवहन निगम की बसों की जानकारी विभागीय अधिकारियों को होनी चाहिए, लेकिन विभागीय अधिकारियों का उत्तराखंड की बसों में कम दूरी अंकित कर कम किराया वसूलना हैरान कर रहा है। उनका कहना है कि ऐसे में उत्तराखंड की बसें खर्चा कैसे निकाल पा रही हैं।
परिचालकों से होती है नोकझोंक
कभी-कभार आने वाला यात्री सुबह तो कम किराया देकर पीलीभीत आ जाते हैं, लेकिन जब शाम को लौटते वक्त स्थानीय डिपो की बस मिलने पर परिचालक 12 रुपये अधिक लेता है, तो यात्री बहस करने लगते हैं। इसे लेकर अक्सर परिचालकों से यात्रियों की नोकझोंक होती है।