पीलीभीत के शहर में जाम की समस्या से निपटने के लिए बनाई गई रणनीति महज कागजों तक सिमटकर रह गई है। सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से ई-रिक्शा व ऑटो के लिए कलर कोड तैयार किया गया था, लेकिन चार महीन बाद भी शहर को जाम से निजात दिलाने के कोई प्रयास नहीं हुए। नतीजतन समस्या जस की तस बनी हुई है। शहर से न अतिक्रमण हटाए गए और न ही ई-रिक्शाें के रूट तय हो सके।
शहर के गैस चौराहा, लाल रोड, बरेली गेट, ड्रमंड गंज चौराहा, बाजार गेट, सुनहरी मस्जिद आदि कई जगहों पर नो एंट्री के लिए जगहों को चिह्नित कर लिया गया है। यहां पर यातायात पुलिस को लगाया गया है, मगर चौराहों पर यातायात पुलिस की बजाए होमगार्ड तैनात दिखते हैं। इससे शहर की तंग सड़कों पर दिनभर जाम लग रहता है। प्रशासनिक अधिकारियों ने ई-रिक्शों का मार्ग तय करने के लिए सितंबर में योजना बनाई थी, लेकिन विभाग चार माह बाद भी इसे धरातल पर नहीं उतार सका। बाजार पहुंचने वाले राहगीर घंटों जाम में फंसकर परेशान हो रहे हैं।
हर बार दावे कर पीछे हट जाते हैं अधिकारीऐसा पहली बार नहीं हुआ है। प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। प्रशासनिक अमला शहर में अतिक्रमण, ई-रिक्शा या फिर यातायात व्यवस्था को लेकर कार्रवाई करने की बात तो कहता है, लेकिन उसे अमली जामा नहीं पहना पाता। लोगों का कहना है कि अधिकारी आम जनता की समस्या का समाधान करना ही नहीं चाहते। इस बार भी सिटी मजिस्ट्रेट ने शुरू में काफी तेजी दिखाई थी बाद में उन्होंने सुध ही नहीं ली।
यहां लगता है जाम
स्टेशन चौराहा, सुनगढ़ी चौराहा, स्टेडियम रोड, गैस चौराहा, गौहनिया चौराहा, चावला चौराहा, सुनहरी मस्जिद, ड्रमंड गंज चौराहा, जेपी रोड, नींबू मंडी, लोहा मंडी आदि जगहों पर दिन में कम से कम चार-पांच बार जाम लगता है।
ई-रिक्शों को नो एंट्री प्वाइंट से आगे जाने नहीं दिया जाता है। गलियों से होकर यह शहर की बाजार में प्रवेश कर जाते है। जल्द ही इनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। – वीरेंद्र सिंह, एआरटीओ