पीलीभीत में जंगल और यहां के बाघों ने इसे देश में एक नई पहचान दिलाई है। शारदा डैम के किनारे स्थित चूका बीच का नजारा सैलानियों के लिए गोवा जैसा एहसास कराता है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है। देशी-विदेशी सैलानी यहां आना अधिक पसंद करते हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व का चूका बीच और लखनऊ की शान गोमती नदी का उद्गम स्थल दो ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जो सैलानियों को खासी आकर्षित करती है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) का जंगल न केवल बाघों की मौजूदगी को लेकर बल्कि पर्यटन को लेकर भी देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करता है। पीटीआर की महोफ रेंज के जंगल और शारदा डैम के किनारे स्थित चूका बीच का नजारा सैलानियों के लिए मिनी गोवा जैसा एहसास कराता है। छह माह तक चलने वाले पर्यटन सत्र के दौरान हजारों सैलानी यहां आकर प्राकृतिक सुंदरता को करीब से निहारते हैं। इसके लिए पीलीभीत मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है। खटीमा मार्ग पर मुख्य प्रवेश द्वार मुस्तफाबाद गेस्ट है। यहां से सैलानी अपने वाहन को खड़ा कर जंगल के वाहन से घूमते हैं।
छह माह तक रहती है रौनक
चूका बीच पर निजी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहता है। इसलिए टाइगर रिजर्व द्वारा 40 से अधिक जंगल सफारी वाहनों की व्यवस्था की गई है। एक वाहन से अधिकतम छह लोग भ्रमण पर जा सकते हैं। वाहन का खर्च 3300 रुपये प्रवेश काउंटर पर जमा करना पड़ता है। इसके बाद सैलानी चूका बीच के अलावा जंगल के पांच अन्य स्थलों को निहारते हैं। जंगल की सैर करने के लिए दिन में दो समय निर्धारित किए गए हैं। जिसमें सुबह छह बजे से तीन घंटे का समय होता है। शाम को तीन बजे से छह बजे तक भ्रमण का समय है। जंगल में बढ़ती संख्या के चलते सैलानियों को बाघों के खूब दीदार होते हैं।
गोमती उद्गम स्थल पर पूजा-अर्चना के साथ होता है पर्यटन का अहसास
चूका बीच से सात किलोमीटर की दूरी पर माधोटांडा गांव में स्थित गोमती नदी के उद्गम स्थल की खूबसूरती भी सैलानियों को काफी पसंद आती है। ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ ही उद्गम स्थल का सौंदर्यीकरण और शाम को बनारस की तर्ज पर होने वाली आरती भी सैलानियों को उद्गम स्थल की ओर खींचती है। यहां लगातार पर्यटन बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
जंगल का वातावरण व बाघों के कारण यहां पर्यटन काफी बढ़ा है। यहां का प्राकृतिक नजारा काफी खूबसूरत है। – नवीन खंडेलवाल, प्रभागीय वनाधिकारी, पीटीआर