पीलीभीत में बिना फिटनेस दौड़ाई जा रहीं रोडवेज बसें

शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक वाहनों की संख्या करीब साढ़े पांच हजार है। इसके अलावा पीलीभीत डिपो से 88 बसों का संचालन किया जाता है। बसों में मानकों की जमकर अवहेलना करते हुए उन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। बसों की खिड़कियों में लॉक न होने के कारण सर्दियों और बारिश के दिनों में सफर करने वाले यात्रियों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।

शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक वाहनों की संख्या करीब साढ़े पांच हजार है। इसके अलावा पीलीभीत डिपो से 88 बसों का संचालन किया जाता है। बसों में मानकों की जमकर अवहेलना करते हुए उन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। बसों की खिड़कियों में लॉक न होने के कारण सर्दियों और बारिश के दिनों में सफर करने वाले यात्रियों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।

इसके अलावा कई बसों में ड्राइवर सीट के पास स्टेयरिंग के नीचे तार फैले रहते हैं तो हार्न भी जुगाड़ से बजाया जाता है। बावजूद इसके बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट दे दिया जाता हैं। ऐसे में अनफिट बसों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए हर समय खतरा बना रहता है।

फिटनेस के लिए इन बिंदुओं पर की जाती है जांचब्रेक, हार्न, वाइपर, इंडिकेटर, साफ-सफाई, प्रदूषण, स्टेयरिंग, लाइट, ढांचा (लंबाई व चौड़ाई), शाॅकर, चेसिस, बाडी, इंजन, स्पीडोमीटर, गेयर, टायर, शीशा, इलेक्ट्रिकल (वायरिंग), डेंट-पेंट, नंबर प्लेट, परवर्ती टेप, टैक्स और बीमा।

समय-समय पर बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट चेक किया जाता है। इससे पता चलता है कि बस की हालत ठीक है या नहीं। फिटनेस में फेल बसों का संचालन रोक दिया जाता है। यहां की कुछ बसें बरेली के आरटीओ विभाग में रजिस्टर्ड हैं। जिनकी जानकारी हमें नहीं है। अनफिट बसों के संबंध में शीघ्र ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।-वीरेंद्र सिंह, एआरटीओ