पूरनपुर/पीलीभीत महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर सूचना दी गई, कि थाना पूरनपुर क्षेत्र के एक गांव में 14 वर्षीय बालिका का बाल विवाह किया जा रहा है, सूचना मिलते ही जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रगति गुप्ता के निर्देश पर संरक्षण अधिकारी मीनाक्षी पाठक चाइल्ड हेल्पलाइन परियोजना समन्वयक निर्वान सिंह थाना एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग उप निरीक्षक रमाकांति वन स्टाफ केंद्र की मानोसमाजिक परामर्शदाता मृदुला शर्मा एवं थाना पूरनपुर की उपनिरक्षक रीना मौके पर जा पहुंची तो टीम द्वारा पाया गया कि जनपद बदायूं के उझानी थाना क्षेत्र के एक गांव से बारात आ थी, बारात और घरात दोनों पक्षों के लोगों द्वारा खाना पीना खाया जा रहा था बारात की रस्में भी शुरू हो चुकी थी मंडप पर वर एवं वधू आ चुके थे तभी अचानक महिला कल्याण विभाग की टीम पुलिस के साथ पहुंची और पंडित को विवाह संबंधी रस्मों को रोकने को कहा गया तथा परिजनों को बालिका की आयु के संबंध में दस्तावेज की मांग की गई तो परिजनों द्वारा दस्तावेज न होने की बात की गई, तब टीम द्वारा शिक्षा विभाग से संपर्क कर बालिका की आयु के संबंध में शैक्षिक दस्तावेजों के अनुसार प्रमाण पत्र प्राप्त किया। जिसमें बालिका की आयु मात्र 14 वर्ष पाई गई, तब टीम द्वारा परिजनों कहा कि बालिका की आयु अभी 18 वर्ष नहीं है इसलिए बाल विवाह रोक दिया जाए यह सुनते ही बालिका के परिजन एवं ग्रामीण आक्रोशित हो गए और बाल विवाह करने की कोशिश करने लगे साथ ही ग्राम प्रधान को भी मौके पर बुला गया टीम द्वारा जब ग्राम प्रधान को बाल विवाह अधिनियम 2006 की जानकारी दी गई तो ग्राम प्रधान द्वारा महिला कल्याण विभाग का सहयोग करने की बजाय यह कहते हुए नजर आए की शादी हो जाने दीजिए विदाई बाद में कर देंगें। टीम द्वारा जब बाल विवाह रोकने की कोशिश की गई तो ग्राम प्रधान ग्रामीणों को बरगलाकर चले गए जिस कारण मामला और बिगड़ गया मामला को बिगड़ते देख चाइल्ड हेल्पलाइन परियोजना समन्वयक निर्वान सिंह ने मौजूदा स्थिति से जिला प्रोबेशन अधिकारी को अवगत कराया, जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा तत्काल संज्ञान लेते हुए भारी पुलिस फोर्स के साथ प्रभारी निरीक्षक नरेश त्यागी को मौके पर भेज दिया। ग्रामीण और बालिका के परिजन लगातार टीम के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए बालिका का बाल विवाह करने की कोशिश करने लगे, जब टीम ने बालिका के बाल विवाह को रोके जाने हेतु सख्ती दिखाई तो ग्रामीणों ने पुलिस और टीम पर हमला करने की कोशिश करते हुए धक्का मुक्की करनी शुरू कर दी, परंतु महिला कल्याण की टीम द्वारा हार नहीं मानी गई और एक 14 वर्षीय बालिका को बालिका वधू बनने रोकने के दृढ़ निश्चय के चलते बारात को वापस बदायूं भेज दिया। जिस कारण एक बालिका बालिका वधू बनने से रुक गई। आपको बताते चलें कि ग्रामीण स्तर पर बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति का गठन है, इसके अध्यक्ष ग्राम प्रधान होते हैं मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत ग्राम प्रधान की भी जिम्मेदारी होती है कि वह अपने पंचायत क्षेत्र में बाल विवाह जैसे कृत्यों पर रोक लगाएं परंतु देखा गया कि उक्त प्रकरण में ग्राम प्रधान ने बाल विवाह को बढ़ावा देने का पूरा प्रयास किया और सरकारी कार्यों में भी वाधा उत्पन न करते हुए ग्रामीणों को विरोध करने के लिए उकसाया गया, जोकि ग्राम प्रधान पर भूमिका पर एक सवालिया निशान है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत किसी भी 18 वर्ष से काम की बालिका का विवाह करना दंडनीय अपराध है, अगर बालिका की आयु 18 वर्ष पूर्ण होने से पहले विवाह किया गया, विवाह करने वाले, सहयोग करने, पंडित, हलवाई, टेंट वाले, बैड वालो एवं बाल विवाह में सम्मिलित मेहमानों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वाल विवाह के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को एक लाख का जुर्माना एवं दो साल की सजा का प्रावधान है।
पीलीभीत:महिला कल्याण की टीम ने एक बालिका को वधू बनने से बचाया, वापस लौटी बारात।
