पीलीभीत: जिलाधिकारी की अध्यक्षता में नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत ‘‘फाॅरेस्ट्री इन्टरवेंशन फार गंगा’’ कार्यशाल का किया गया आयोजन।

पीलीभीत जिलाधिकारी श्री पुलकित खरे की अध्यक्षता में नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत ‘‘फाॅरेस्ट्री इन्टरवेंशन फार गंगा’’ हेतु एग्रीकल्चर लैण्डस्केप के अन्तर्गत गोमती किनारे से 05 किमी0 क्षेत्र में वर्षाकाल में वृक्षारोपण योजना से सम्बन्धित कार्यशाला का आयोजन गांधी सभागार में किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ जिलाधिकारी द्वारा किया गया। कार्यशाला में डीएफओ सामाजिक वानिकी ने नमामि गंगे योजना के सम्बन्ध उपस्थित पूर्व ग्राम प्रधान, किसान को जानकारी देते हुये कहा कि इस योजना के सम्बन्ध में गोमती नदी के किनारे स्थित 12 ग्रामों 09 हजार पौधों का वृक्षारोपण 80 किसानों के द्वारा उनकी भूमि पर किया गया है। किसानों द्वारा अपनी भूमि पर अपनी इच्छा के अनुसार पौधों का रोपण कराया गया है। पौधे वन विभाग द्वारा किसानों को उपलब्ध कराये गये हैं तथा प्रत्येक किसान को वर्ष में दो वार पौधों की देखरेख व वृक्षारोपण के लिए प्रति पौधा रू0 35 वर्ष में दो वार प्रदान किया गया है तथा आगे के वर्षों में भी पौधों की देखरेख हेतु 04 वर्ष तक एक किसान को प्रति पौधों रू0 170 प्रदान किया जायेगा। बैठक में जिलाधिकारी द्वारा सम्बोधित करते हुये कहा कि योजना का उद्देश्य गोमती नदी के किनारे अधिक से अधिक पौ धौं का रोपण कर जल संचयन व पर्यावरण को संरक्षण प्रदान कराना है और साथ ही साथ किसान भाईयों को कृषि के साथ साथ अतिरिक्त आय प्राप्त करने हेतु लाभकारी पौधों का रोपण कराने हेतु प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि सरकार इस कार्य हेतु प्रोत्साहन धनराशि प्रदान करती है जो आप लोग पौधों की नियमित देखरेख करने व उनको जीवित रखने में उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि आज आयोजित कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य गोमती उदगम के जल संचय को बढ़ाने के साथ साथ किसान भाईयों को अपनी फसल के साथ साथ किस प्रकार के पौधों का रोपण करे कि पौधे फसल में सहायक हो तथा भूमि की उर्वरता शक्ति बढ़ाने के साथ साथ उनसे अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त की जा सके। कार्यशाला में इन सब विन्दुओं के बारे में आज आये विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से जानकारी दी जायेगी। इसके उपरान्त आप सभी लोग अपने आस पास के किसानों को भी इस कार्य हेतु प्रोत्साहित करें, उन्होंने कहा कि माॅ गोमती उदगम स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित करने हेतु वहां पर गौशाला, नौका विहार सहित अन्य सुविधाऐं उपलब्ध कराई गई हैं तथा नदी के किनारे किनारे वृक्षारोपण का कार्य कर माॅ गोमती नदी को वास्तविक स्वरूप प्रदान में क्षेत्रवासी पूर्ण सहयोग करते हुये अपनी जिम्मेदारी का दायित्व निभाये। उन्होंने कहा कि जल्द ही गोमती उदगम स्थल पर कछुआ संरक्षण केन्द्र स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि रेशम, फलदार पौधों का रोपण अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।
आयोजित कार्यशाला में डीएफओ सामाजिक वनिकी श्री संजीव कुमार, जिला उद्योग अधिकारी, पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

रिपोर्ट रामगोपाल कुशवाहा पीलीभीत