पीलीभीत: विकासखंड पूरनपुर की ग्राम पंचायत महुआ गुन्दे में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नगर इकाई ने लगाये पौधे भाजपा मंडल महामंत्री अचलेन्द्र मिश्र अचल ने विस्तार से समझया आज से 73 साल पहले, 9 जुलाई 1949 को स्वामी विवेकानंद से प्रभावित हो कर कुछ युवाओं ने छात्र संगठन बनाया जो आज विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। इस संगठन ने सकारात्मक और रचनात्मक (activism) सक्रियतावाद की जो अलख देश में जलाई वो आज तक धधक रही है। इस संघ का नारा है ” ज्ञान, शील और एकता”।
ABVP यानी की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आज भी देश के अनगिनत छात्रों को देशहित में काम करने के लिए प्रेरित कर रहा है और साथ ही साथ उन्हें राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों का बोध भी करवाता रहा है। इस संगठन के स्थापना दिवस को हर वर्ष भारत में राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस संगठन ने केवल छात्रों का चरित्र निर्माण किया है, बलकि देश की राजनीति में भी अपनी खास जगह और प्रतिष्ठा हासिल की है।
आजादी के बाद देश को आधुनिकता के पथ पर ले जाने के लिए मगर साथ ही साथ देश के गौरव और परंपराओं को जीवित रखने के उद्देश से बना था। यह संघ देश को रूढ़िवादी परंपराओं, अलग अलग तरह की संकीर्णताओं और अन्य समस्याओं से जीत कर विकास के पथ पर ले जाने के लक्ष्य से बना था।
यूं तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना 1948 में ही हो चुकी थी, मगर औपचारिक रूप से इसका पंजीकरण 9 जुलाई, 1949 को हुआ। शुरुआती दौर में कुछ छात्रों और शिक्षकों ने मिल कर इस संगठन की नींव खड़ी की मगर 1958 में मुंबई के प्रोफेसर यशवंत राव केलकर जब एबीवीपी के मुख्य संयोजक बने तो संघ की सक्रियता काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई और इस संगठन का विस्तार पूरे भारतवर्ष में होने लगा। इस छात्र संघ की एक विशेषता यह है कि इकाई अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक हर पद पर एक शिक्षक आसीन है जिससे छात्रों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो और साथ ही संघ के मंत्र – “ज्ञान, शील और एकता” से छात्र डिगे नहीं और उनको उचित मार्गदर्शन मिलता रहे।
आज का दिन हर भारतीय छात्र को उनकी शक्ति का एहसास दिलाने का दिन है, इस अनुभूति का दिन है की छात्र चाहें तो देश की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल सकते हैं।