पीलीभीत भारतीय संस्कृति में गाय का विशेष महत्व है यही कारण है कि गाय को माता का दर्जा प्रदान किया गया है। ऐसी मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है व गाय की सेवा करने वाला व्यक्ति पुण्य का भागीदार बनता है। ऋग्वेद में गाय को अधन्या बताया गया है वहीं यजुर्वेद कहता है कि गौ अनुपमेय है इसके साथ ही अगर अथर्ववेद की बात करें तो अथर्ववेद में गाय को सम्पत्तियों का घर कहा गया है। गरूड़ पुराण में वैतरणी पार करने के लिए गौदान का महत्व बताया गया है। स्कंदपुराण के अनुसार ’गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्व गौमय है।’ भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में कहा है- ’धेनुनामस्मिकामधेनु’ अर्थातमैंगायोंमेंकामधेनु हूॅ।
गोवंश के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं। प्रदेश के सभी जनपदों में 2-2 वृहद गोवंश संरक्षण केन्द्र की स्थापना की है इस हेतु 278 केन्द्रों के लिए 303.60 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं। लोग अक्सर दूध न देने वाली गो पशुओं को बेसहारा छोड़ देते हैं प्रदेश सरकार ऐसे पशुओं का खास खयाल रख रही है। मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता कार्यक्रम में 51772 गोपालकों को 94626 गोवंश सुपुर्द किए गए इसके अलावा बेसहारा निराश्रित गोवंशीय पशुओं के भरण-पोषण हेतु कार्पसफण्ड का सृजन किया गया है। प्रदेश में 4503 अस्थायी गो आश्रय स्थल 177 कान्हा गोशाला, 408 कांजीहाएस व 189 वृहद गोवंश संरक्षण केन्द्रों में कुल 6.08 गोवंश संरक्षित किए गए है। बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों में 35 पशु आश्रय गृहों का निर्माण किया गया है। शहरी क्षेत्र में भी गोवंश के संरक्षण की अभूतपूर्व व्यवस्था की गई है इसके लिए 16 नगर निगमों में गोशाला के सुदृढ़ीकरण हेतु रू0 17.52 करोड़ निर्गत किए गए हैं। विभिन्न बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने हेतु अब तक 52 करोड़ 97 लाख 82 हजार पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। प्रदेश सरकार ने पशुओं को बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने हेतु गोरखपुर में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है।
प्रदेश सरकार न केवल गोवंश पशुओं पर ध्यान दे रही है बल्कि अन्य पशुआेंं, कुक्कुट व मत्स्य पालन पर भी अपना ध्यान केन्द्रित कर रही है। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश भर में प्रथम स्थान पर है। अब तक प्रदेश में 1380.994 लाख मीट्रिक टन दुग्ध का उत्पादन हुआ है तथा 6576 डेटा प्रोसेसिंग मिल्क कलेक्शन यूनिट स्थापित की जा चुकी है। दुग्ध उत्पादनको बढ़ावा देने के लिए दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पाने वाले दुग्ध उत्पादक को 2 लाख रूपये, द्वितीय स्थान पाने वाले को 1.50 लाख रू0 एवं शील्ड देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में एक-एक गोवंश वन्य विहार की स्थापना की गई है।
मत्स्य उत्पादन में भी प्रदेश ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। प्रदेश को बेस्ट स्टेट ऑफ इन्लैण्ड फिशरीज का प्रथम पुरस्कार मिला है। अब तक 29.65 लाख मी0 टन मत्स्य उत्पादन किया जा चुका है एवं 1191.27 करोड़ मत्स्य बीज का भी उत्पादन किया जा चुका है। मत्स्य पालकों की सहूलियत को देखते हुए 7883 मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए गए हैं। मथुरा-अलीगढ़ क्षेत्र में खारे पानी के कारण अनुपयोगी भूमि को उपयोगी बनाते हुए श्रिम्प (खारे जल की झींगा प्रजाति) की फार्मिग का कार्य किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य की ओर उत्तरोत्तर बढ़ रही है चूंकि पशुपालन व मत्स्य पालन कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का ही भाग है अतः इस ओर ध्यान केन्द्रित करना प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की आय वृद्धि में सहायता प्रदान करेगा।