पीलीभीत प्रदेश में मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजनान्तर्गत लघु एवं सीमान्त कृषकों को निःशुल्क बोरिंग/उथले नलकूप तथा पम्पसेट स्थापना हेतु योजना संचालित है। इसके अन्तर्गत प्रदेश के एल्यूवियल क्षेत्रों में 30 मीटर गहराई तक की 110 एम0एम0 (04 इंच)व्यास की बोरिंग करायी जाती है। योजना का लाभ लेने के लिए लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु पात्रता निर्धारित है। इसके लिए कृषक का प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चउापेंदण्हवअण्पद अथवा पारदर्शी किसान सेवा पोर्टल ीजजचरूध्ध्नचंहतपचंतकंतेपण्हवअण्पद पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। कृषक का उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं विनियम अधिनियम, 2019 के प्रावधान के अन्तर्गत बोरिंग का पंजीकरण भूगर्भ जल के पोर्टल नचहूकवदसपदमण्पद पर कराया जाना अनिवार्य है। कृषक द्वारा बोरिंग कराने हेतु वेब-पोर्टल ररउनचण्वतह पर किया गया ऑनलाईन आवेदन ही स्वीकार किया जाता है। इस योजना में सामान्य श्रेणी के लघु एवं सीमान्त कृषकों, जिनकी न्यूनतम जोत सीमा 0.2 हे0 तक के पात्र होते हैं। अनुसूचित जाति/अनु0जनजाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों के मामले में न्यूनतम जोत सीमा का प्रतिबन्ध लागू नहीं होता है।
इस योजना के अन्तर्गत 30 मीटर गहराई तक की 110 एम0एम0 (4 इंच)व्यास की बोरिंग/नलकूप निर्मित किया जाता है। नलकूप का ऊर्जीकरण यथा सम्भव प्रधानमंत्री कुसुम योजना से किया जाता है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना हेतु पंजीकृत कृषकों को प्रस्तावित योजना में प्राथमिकता दी जाती है।
इस योजनान्तर्गत सामान्य श्रेणी के लघु कृषक (2.5 एकड़ से अधिक 5.00 एकड़ तक) को 6425 रू0 अनुदान, सामान्य श्रेणी के सीमान्त कृषक (2.5 एकड़ तक)को8650 रू0 अनुदान, अनुसूचित जाति/जनजाति के लघु एवं सीमान्त कृषक को 12100 रू0 अनुदान दिये जाने का प्राविधान है।
जल के अपव्यय को रोकने हेतु उथले नलकूप योजना पर यथासम्भव सूक्ष्म सिंचाई पद्धति स्थापित कराया जाता है। ऐसे कृषक जिनके उथले नलकूप पर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति स्थापित सम्भव नहीं है, उन्हें उथले नलकूपों के जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के दृष्टिगत 90/110 एम0एम0व्यास का 30 से 60 मीटर एच0डी0पी0आई0 पाइप की लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू0 3000.00 अनुदान भी देय होगा। यह अनुदान सीमा सभी श्रेणी के लघु एवं सीमान्त कृषकों के लिए देय होती है।
वर्तमान सरकार के अबतक के कार्यकाल में प्रदेश में 6 सितम्बर, 2021 तक 424624 निःशुल्क बोरिंग/उथले नलकूप करा कर किसानों को सिंचाई की सुविधा दी गई है। सिंचाई की सुविधा प्राप्त होने पर लघु एवं सीमान्त किसानों ने अपनी फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी करते हुए आर्थिक स्थिति मजबूत किया है।