पीलीभीत: जिले की जमीन के जंगल की देखरेख की जिम्मेदारी शाहजहांपुर के अधिकारियों और कर्मियों के हवाले की है आरोप है कि जंगल की निगरानी में लापरवाही बरती जा रही है .जंगल के अंदर से बेशकीमती लकड़ी का कटान होने से हरियाली कम होती जा रही है. जंगल किनारे रहने वाले लोगों को भी कई परेशानियां उठाने पड़ रहे हैं. लोगों ने समायोजन वाले मंडनपुर और गोपालपुर के जंगल भी पीलीभीत वन विभाग की देखरेख में किए जाने की मांग उठाई है . पीलीभीत जनपद को 20 साल पहले समायोजन में शाहजहांपुर से कटकर 94 गांव मिले हैं. कई सरकारी योजनाओं का भी काम जनपद पीलीभीत में ही होने लगा है. पीलीभीत के जंगल टाइगर रिजर्व घोषित है. इससे यहां के वन और वन्य जीव को बेहतर तरीके से संरक्षण मिलना बताया जा रहा है. शाहजहांपुर से 94 गांव के अंतर्गत समायोजन में मिला. क्षेत्र अभी भी शाहजहांपुर के अधीन है .गोपालपुर और मदनपुर जंगल का बड़ा क्षेत्रफल पीलीभीत की जमीन पर है लेकिन इसकी देखरेख आदि कार्य खुटार रेंज और शाहजहांपुर रेँज विभाग के पास ही है. आरोप है कि वहां के अधिकारी और कर्मचारी ठीक से जंगल की निगरानी पर ध्यान नहीं देते. इससे इन जंगलों से बेशकीमती लकड़ी का कटान भी आए दिन होता रहता है. हाल ही में जंगल से कई पेड़ों को लकड़कट्टों ने काट लिए थे. लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र को भी पीलीभीत के हवाले किया जाए तो उसकी बेहतर तरीके से निगरानी हो सकेगी जंगल में रहने वाले वन्य जीव को भी बेहतर संरक्षण मिल सकेगा.
रिपोर्ट :फूलचंद राठौर पीलीभीत