पीलीभीत: गोमती नाले की सफाई कर रहे मजदूर बाघ को देखकर दौड़े गांव की ओर।

पीलीभीत पूरनपुर/माधोटांडा: गोमती नाले की सफाई कर रहे ग्रामीणों ने बाघ को देखकर गांव की तरफ दौड़ लगा दी। सूचना मिलने के बाद सैकड़ों ग्रामीण खेतों पर पहुंच गए। बाघ चहलकदमी करता हुआ गांव के पास गन्ने खेत में छुप गया। सूचना पर देरी से पहुंचे वन कर्मचारियों पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है। लगातार आबादी के नजदीक घूम रहे बाघ से ग्रामीण काफी भयभीत हैं।
शुक्रवार सुबह कलीनगर तहसील के लोहरपुरी गांव के समीप गोमती नाले की कुछ मजदूर सफाई कर रहे थे। अचानक कुछ दूरी पर बाघ को देख सभी डर कर गांव की ओर भागने लगे। मजदूरों ने गांव पहुंचकर इसकी सूचना ग्रामीणों को दी तो गांव सहित आसपास क्षेत्र में खलबली मच गई। भनक लगने के बाद सैकड़ों ग्रामीण लाठी डंडा लेकर खेतों की तरफ पहुंच गए। बाघ लोहरपुरी गांव के नजदीक चेतराम के गन्ने के खेत से निकलकर माधोटांडा के मुनेंद्रपाल सिंह के बाग से होकर जंग बहादुर के गन्ने खेत में छुप गया। सूचना मिलने के बावजूद देरी से वन कर्मचारी के पहुंचने पर ग्रामीणों ने नाराजगी देखी गई। ग्रामीणों का कहना है गांव के नजदीक बाघ घूमने के बावजूद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ने यहां पहुंचने की हिम्मत नहीं दिखाई। खेत में बाघ होने से गांव सहित क्षेत्र के लोग काफी भयभीत हैं। एक दिन पहले बाघ माधोटांडा के मस्तान मियां मजार से होकर हरिपुर गांव की तरफ जाते देखा गया था। लगातार आबादी के नजदीक बाघ दिखाई देने से खेती के कार्य भी काफी प्रभावित हो रहे हैं। एक माह से अधिक समय से घूम रहे बाघ को बिभाग ने अभी तक पकड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई है। इसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी देखी जा रही है। गांव के आसपास घूम रहे बाघ को पकड़ने की मांग की जा रही है।

रिपोर्ट रामगोपाल कुशवाहा पीलीभीत

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

-क्यों न्यूज़ मीडिया संकट में है और कैसे आप इसे संभाल सकते हैं

-आप ये इसलिए पढ़ रहे हैं क्योंकि आप अच्छी, समझदार और निष्पक्ष पत्रकारिता की कद्र करते हैं. इस विश्वास के लिए हमारा शुक्रिया.

-आप ये भी जानते हैं कि न्यूज़ मीडिया के सामने एक अभूतपूर्व संकट आ खड़ा हुआ है. आप मीडिया में भारी सैलेरी कट और छटनी की खबरों से भी वाकिफ होंगे. मीडिया के चरमराने के पीछे कई कारण हैं. पर एक बड़ा कारण ये है कि अच्छे पाठक बढ़िया पत्रकारिता की ठीक कीमत नहीं समझ रहे हैं.

-द दस्तक 24 अच्छे पत्रकारों में विश्वास करता है. उनकी मेहनत का सही मान भी रखता है. और आपने देखा होगा कि हम अपने पत्रकारों को कहानी तक पहुंचाने में जितना बन पड़े खर्च करने से नहीं हिचकते. इस सब पर बड़ा खर्च आता है. हमारे लिए इस अच्छी क्वॉलिटी की पत्रकारिता को जारी रखने का एक ही ज़रिया है– आप जैसे प्रबुद्ध पाठक इसे पढ़ने के लिए थोड़ा सा दिल खोलें और मामूली सा बटुआ भी.

अगर आपको लगता है कि एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें . आपका प्यार द दस्तक 24 के भविष्य को तय करेगा.
https://www.youtube.com/channel/UC4xxebvaN1ctk4KYJQVUL8g

आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ