पीलीभीत: जिलाधिकारी पुलकित खरे द्वारा जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों से अपील की गई है कि अपनी ग्राम पंचायतों में समस्त कृषकों को धान की पराली, गन्ने की पताई एवं अन्य कृषि अवशिष्ट को न जलाने हेतु जागरूक करते हुये कृषि अवशिष्ट जलाने से होने वाली हानियों के बारे भी कृषकों को अवगत करायें। यह भी अवगत करायें कि मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों के अन्तर्गत पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्णतया रोक लगाए जाने के निर्देश दिये गये हैं। 01 टन धान की फसल के अवशेष जलाने से 03 किग्रा0 कणिका तत्व (कार्बन), 60 कि0ग्रा0 कार्बन मोनो आॅक्साइड, 1460 कार्बन डाइ आॅक्साइड, 199 किग्रा0 राख एवं 02 किग्रा0 सल्फर डाई आॅक्साइड अवमुक्त होता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे आॅखों में जलन व त्वचा रोग तथा सूक्ष्म कणों के कारण हदय एवं फेफडे़ की बीमारी के रूप में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके साथ ही मृदा में पोषक तत्वों के नष्ट होने के अतिरिक्त भूमि का तापमान, नमी एवं जैविक पदार्थ भी अत्याधिक प्रभावित होते हैं। धान की पराली, गन्ने की पताई एवं अन्य कृषि अवशिष्ट जलाने के कारण उत्पन्न हो रहे प्रदूषण के प्रभाव को कम करने, भूमि की संरचना को विकृत होने से बचाने, मृदा में ह्यूमस की मात्र एवं मृदा उर्वरता को संरक्षित रखने हेतु कृषि अवशिष्ट जलाना भूमि एवं पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।