पीलीभीत मेडिकल कॉलेज में बतौर वरिष्ठ जनरल फिजिशियन डॉक्टर रमाकांत सागर ने बताया कि कुछ सालों पहले तक पीलीभीत में प्रदूषण का कोई खास असर नहीं देखा जाता था. लेकिन बीते कुछ समय में पीलीभीत भी इससे अछूता नहीं रहा है.
पीलीभीत. वैसे तो पीलीभीत तराई का जिला है और यहां का एक तिहाई हिस्सा वन क्षेत्र है. आमतौर पर यहां की आबोहवा को काफी अनुकूल माना जाता है. लेकिन बरेली और शाहजहांपुर के साथ पीलीभीत भी लगातार दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में शुमार हो रहा है. ऐसे में तराई के लोगों के लिए ये चिंता का सबब बन गया है.
दरअसल, पीलीभीत जिले में एक बड़ा हिस्सा जंगल का है. ऐसे में यहां का वातावरण अन्य शहरों की अपेक्षा काफी अच्छा समझा जाता है. लेकिन इस अवधारणा को पीलीभीत का AQI स्तर लगातार गलत साबित कर रहा है. अलग अलग वेबसाइट के मुताबिक पीलीभीत का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खतरनाक है
पीलीभीत में प्रदूषण ने बढ़ाई चिंता
आंकड़ों के मुताबिक जिले का AQI 200 के पार जा रहा है. बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ माना जाता है. जबकि इसके ऊपर खतरनाक स्थिति होती है. जिसमें सांस लेना मुश्किल होता है.
एक्सपर्ट की ये है सलाह
पीलीभीत मेडिकल कॉलेज में बतौर वरिष्ठ जनरल फिजिशियन डॉक्टर रमाकांत सागर ने बताया कि कुछ सालों पहले तक पीलीभीत में प्रदूषण का कोई खास असर नहीं देखा जाता था. लेकिन बीते कुछ समय में पीलीभीत भी इससे अछूता नहीं रहा है. इस साल एयर क्वालिटी इंडेक्स में काफी उछाल आया है. सांस लेने के दौरान नाक और मुंह के जरिए यह प्रदूषित हवा लोगों के फेफड़ों तक पहुंचती है. जिसके कारण लोगों को तरह-तरह की समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जब भी सड़क पर निकले तो मास्क का प्रयोग करें या किसी कपड़े से मुंह को ढक कर रखें. इसके साथ ही अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें.