पीलीभीत: पूरनपुर अमरैयाकलां में सुप्रसिद्ध संत लालबाबा मंदिर का प्राचीन स्थल है। मंदिर पर बाबा कंधईदास के नेतृत्व में ग्रामीणों के सहयोग से 28 नवम्बर से सात दिवसीय श्रीमद भागवत महापुराण कथा चल रही है। वृन्दावनधाम से पधारे कथा व्यास पं0 रामनारायणचार्य वेदांती एवं गांव मुजफ्फरनगर से पं0 सूरज शास्त्री एवं साध्वी उपासना शास्त्री ने सीता स्वयंवर, रामवनबास, कालिया दमन, गोवर्धनधारण, चीरचरण आदि की कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल से रथ द्वारा विदा कराकर मथुरा जा रहा था। इसी दौरान आकाशवाणी होती है कि हे कंस जिस बहन को तो लेकर जा रहा है। उसकी आठवीं संतान तेरी मौत का कारण बनेगी। यह आकाशवाणी सुनकर कल अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को मथुरा कारागार में बंद कर देता है। इसके बाद देवकी की सात संतानों का वध कर देता है। कृष्ण का जन्म होते ही मथुरा कारागार के द्वारपाल सो जाते हैं और कृष्ण का जन्म होते ही कारागार के द्वार खुल जाते हैं। वासुदेव कृष्ण को लेकर मां यशोदा की गोद में सुला देते हैं। श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। मंच पर कई तरह की सुंदर झांकियों को प्रदर्शित किया गया। श्रीमद भागवतकथा का समापन चार दिसम्बर को पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ समापन होगा। कथा भागवत कथा में गांव खाता, सुखदासपुर, अमरैयाकलां, गौटिया, तकियादीनारपुर, महादिया, रघुनाथपुर, रुरियासलेमपुर, रम्पुराफकीरे सहित कई गांव के लोग मौजूद थे। धार्मिक समारोह में बाबा कंधईदास, महेशदास, रमलीदास, ओमकार कुशवाहा, द्वारिका प्रसाद, लालाराम, जगदीश प्रसाद, रामनरेश कुशवाहा, वीरू राजपूत, रामकुमार, अमरसिंह, भगवानदीन, वृषपाल सिंह, अजयपाल, अजुद्दीप्रसाद, सरनामसिंह, सूरज शर्मा, फूलचंद, हरनाम, रामदेव, रामसिंह, राकेश कुमार, जगतपाल, प्रेमराज, मोहनलाल, सुखलाल, पवनकुमार, सियाराम, झम्मनलाल आदि मौजूद रहे।