जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार की अध्यक्षता में प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेन्ट ऑफ क्राप रेजिड्यू योजनान्तर्ग फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु एक जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठी का आयोजन गांधी प्रेक्षागृह में किया गया। गोष्ठी में उन्होंने कहा कि सरकार ने आप सभी को कृषि उपकरणों पर अनुदान प्रदान करते हुए लाभान्वित किया गया है, अतः आप सब का उत्तरदायित्व की अपने न्याय पंचायत में पराली जलने की घटनाओं को रोकने में प्रशासन का पूर्ण सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि आप सभी लोग ग्राम प्रधानों के साथ बैठक आयोजित कर निर्धारित दरों पर कृषकों को पराली प्रबंधन से संबंधित उपकरण उपलब्ध कराते हुए पराली को काटकर मिट्टी में मिलाने का कार्य करें, उन्होंने कहा आप सभी का दायित्व है कि जनपद की भूमि की उर्वरता बनाए रखें यह तभी संभव है जब किसान खेत में पराली ना जलाए। उन्होंने कहा कि कृषक भाई पराली किसी भी दशा में न जलाएं और उसे पूसा डिकम्पोजर या हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं मल्चर के माध्यम से सड़ाकर जैविक खाद के रूप में उपयोग करें जिससे भूमि की उर्वरकता में भी वृद्धि हो सकेगी। इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा सभी को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हम सभी का दायित्व है कि आने वाली पीढ़ी को अच्छा वातावरण व श्रेष्ठ संसाधन उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि खेत में पराली को जलाने से भूमि के पोषक तत्व व सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे उत्पादकता की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
आयोजित बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि सभी सुनिश्चित करें कि अपने अपने क्षेत्रों में पराली किसी भी दशा में न जलाई जाये और निर्देशित किया कि ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर किसानों को जागरूक किया जाये तथा पराली को नष्ट करने हेतु पूसा डिकम्पोजर का प्रयोग कर जैविक खाद के रूप में प्रयोग करे।
मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षति हेतु निम्नवत अर्थदण्ड निर्धारित किया गया हैः- कृषि भूमि का 02 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 2500/-प्रति घटना, कृषि भूमि का 02 एकड़ से अधिक, किन्तु 05 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 5000/-प्रति घटना व कृषि भूमि का 05 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 15000/-प्रति घटना निर्धारित किया गया है। अतः फसल अवशेष को न जलाकर उसका प्रबन्धन करने हेतु पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग, मिट्टी में मिलाकर खाद बनाना, भूमि की सतह पर मल्चिंग/पलवार के रूप में प्रयोग, धान की कटाई के बाद गेहूॅ की जोरो टिल सीउ-कम फर्टी ड्रिल से बुवाई, मशरूम की खेती में प्रयोग करना, रीपर का प्रयोग कर भूसा बनाना, मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक दशा में सुधान होना, जल धारण क्षमता में सुधार होना, अवशेषों को खेत में जुताई कर वेस्ट डिकम्पोजर का छिड़काव कर गलाना, फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु यंत्रों यथा, पैडी स्ट्रा चॉपर, एम0बी0 प्लाऊ एवं सुपर सीडर जैसे उन्नतशील यंत्रों का प्रयोग करना व फसल अवशेषों को इकट्ठा कर वेस्ट डिकम्पोजर के माध्यम से कम्पोस्ट खाद तैयार करें।
आयोजित गोष्ठी में मुख्य विकास अधिकारी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, उप निदेशक कृषि, उप जिलाधिकारी सदर/कलीनगर, जिला गन्ना अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।