पीलीभीत : दिनांक 17, 18, 19 दिसम्बर 2021 को आयोजित होने वाले बॉसुरी महोत्सव 2021 में कृषि विभाग द्वारा एग्रो कार्नर मूलतः खण्डों में विभाजित किया गया है। रबी फसलों व मृदा परीक्षण के मॉडल का प्रदर्शन- रबी फसलों को प्रदर्शित करते हुये वैज्ञानिक ढंग से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए कृषकों को जागरूक किये जाने की योजना है। मृदा परीक्षण के मॉडल के माध्यम से मिट्टी की जॉच का महत्व व उचित उर्वरकों के प्रयोग को दर्शाते हुये फसलों की उत्पादन लागत को कम करने के बिन्दुओं को रेखांकित किये जाने की योजना है। समन्वित कृषि प्रणाली का मॉडल- समन्वित कृषि प्रणाली के अन्तर्गत कृषकों को निरन्तर आय प्राप्त करने के उद्देश्य से फसलोत्पादन के साथ साथ कृषि से जुडे़ अन्य कार्यों जैसे पशुपालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन तथा मशरूम उत्पादन आदि को प्रदर्शित करते हुये कृषकों को लाभान्वित करने की योजना है। मृदा एवं जल संरक्षण का मॉडल- वर्तमान परिवेश में बढ़ती हुये जनसंख्या के सापेक्ष घटते हुए कृषि क्षेत्र के दृष्टिगत भूमि एवं जल संरक्षण के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करने की योजना है, जिससे कृषक जागरूक होकर भूमि एवं जल संरक्षण के महत्व को समझ सकें और सत्त फसलोत्पादन को बनाये रखें। सोलप पम्प- वर्तमान परिवेश में ऊर्जा की महत्वा अधिक बढ़ गई है। जैव ईंधन की भविष्य में अनुपलब्धता को देखते हुए अक्षय ऊर्जा को एक विकल्प के रूप में सिंचाई के साधान के रूप में सोलर पम्प के सजीव प्रदर्शन करने की योजना है। खेती में मुख्यतः कृषकों को निवेश हेतु क्रय शक्ति/धन की कमी रहती है, जिससे कृषक साहूकारों से उधारी लेकर अपना कार्य सम्पादित करते हैं, इसके विकल्प के रूप में बैंकों, सहकारी समितियों के माध्यम से विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। कृषकों को संगठित करने, कृषि में निवेश बढ़ाने तथा विपणन की समस्याओं को हल करने के लिए कृषक उत्पादक संगठन को प्रदर्शित करने का प्रयास किया जायेगा। कृषकों को अद्यतन कृषि तकनीकी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र के महत्व को भी मॉडल के माध्यम से प्रदर्शित करने की योजना है। जनपद का एक बड़ा भू-भाग पीलीभीत टाइगर रिजर्व से घिरा हुआ है, जिससे समय समय पर जंगली जानवरों व मनुष्य के बीच अर्न्तसंघर्ष की घटनायें होती रहती हैं, जिससे किसानों का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र के बाहर गन्ने की खेती को हतोत्साहित करते हुए अन्य फसलों जैसे हल्दी, अदरक व लेमन ग्रास को बढ़ावा देने हेतु मॉडल के प्रदर्शन की योजना है। वर्तमान परिवेश में फसलोत्पादन में रसायनों का उपयोग बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। रसायनिक खेती के विकल्प के रूप में जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए विभिन्न कृषक उत्पादक संगठनों के द्वारा जैविक खेती की जा रही है। पूर्व से गठित कृषक उत्पादक संगठनों के द्वारा उत्पादित जैविक उत्पादों को प्रतिकात्मक रूप में छोटे छोटे पैकेटों के रूप में प्रदर्शित किये जाने की योजना है।
दिनांक 17.12.2021 को गन्ने की खेती पर विस्तृत परिचर्चा हेतु डा0 प्रवीन कुमार कपिल, सहायक निदेशक गन्ना किसान संस्थान, शाहजहॉपुर, उ0प्र0 को आमंत्रित किया गया। दिनांक 18.12.2021 को रबी फसलों पर विस्तृत चर्चा हेतु प्रोफेसर डा0 अमित भटनागर, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तरखण्ड का आमंत्रित किया गया है। दिनांक 19.12.2021 को सब्जियों की खेती पर विस्तृत चर्चा हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, बरेली के वरिष्ठ वैज्ञानिक को आमंत्रित किया गया है।