पीलीभीत : मिड डे मील मामले की शिकायत में दूध न बंटने की हुई पुष्टि।

पीलीभीत पूरनपुर। सिरसा में बच्चों को मिड-डे मील की सामग्री वितरित न किए जाने का आरोप लगाते हुए प्रधानपति सहित ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत खंड विकास अधिकारी को पत्र देकर जांच कराए जाने की मांग की थी। इस मामले की खण्ड शिक्षा अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर जांच की जिसमे दूध न बाटने की शिकायत सही पाई गई। बकौल बीइओ बाकी सारे आरोप निराधार हैं।
ज्ञात हो कि तहसील क्षेत्र के गांव सिरसा निवासी विजय पाल प्रधान पति है। बताया जाता है कि शनिवार को वह गांव के कुछ लोगों के साथ प्राथमिक विद्यालय में गए थे।स्कूल में तैनात प्रधानाध्यापक मोहम्मद कौसर से मिड डे मील की जानकारी ली गई तो प्रधानाध्यापक ने मिड डे मील की जानकारी देने से इंकार कर दिया। जब उन्होंने स्कूल के बच्चों व रसोईयों से मिड डे मील में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में पूछा तो बच्चों ने बताया कि स्कूल में कोई भी सामग्री नई बांटी जाती है, जबकि स्कूल के अध्यापक मनमानी तरीके से रजिस्टर में सामग्री बांटना दर्शा रहे हैं। यही नहीं शनिवार को विद्यालय में बनाई गई सब्जी में कई कमियां पाई गई। बच्चों को मिलने वाली सभी सामग्री को अध्यापक ने अपने रजिस्टर में चढ़ा दिया। स्कूल के शौचालय में ताला लटका हुआ है। इसके चलते स्कूली बच्चों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। आरोप था कि बच्चों को मिलने वाली सामग्री अध्यापक डकार रहे हैं। सामग्री का नियमानुसार वितरण न कर उसका बंदरबांट किया जा रहा है। यही नहीं विरोध करने पर अभद्रता कर अध्यापक मारपीट पर उतारू हो जाता है। शिकायतकर्ताओं गांव के विजयपाल, जसवीर सिंह, राजेंद्र, संजय, महेश, मदन सिंह, जगबीर, राम सिंह, राम प्रसाद सहित दर्जनों ग्रामीणों ने खंड विकास अधिकारी को पत्र देकर अध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग की थी। बीते दिन इस मामले की खण्ड शिक्षा अधिकारी विजय वीरेंद्र सिंह जांच करने विद्यालय पहुंचे। जांच के बाबत पूछे जाने पर बीईओ ने बताया
बीईओ ने बताया एक शिकायत सही पाई गई कि बुधवार को दूध का वितरण नही किया गया जबकि अभिलेखों में दूध वितरण अंकित किया गया है। बाकी सारे आरोप निराधार पाए गए हैं। इस संबंध में ग्राम प्रधानपति का कहना है कि जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। शिकायत के निस्तारण में शिकायतकर्ताओं को सुने बिना फर्जी अंगूठा हस्ताक्षर लगाकर शिकायत निपटा दी गई है। इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की जाएगी। फिलहाल बताते चलें कि पूरी जांच प्रक्रिया संदिग्ध है क्योंकि दूध वितरण न कर कागजों में चढ़ाए जाने मामले में क्या कार्यवाही होगी यह तक स्पष्ट नहीं किया गया है।