पीलीभीत: प्रदेश सरकार का ध्येय है कि किसानों की आय में दोगुना वृद्धि हो। किसान अपने खेतों में परम्परागत फसलें जैसे गेंहू, चना, मटर, सरसों, जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार, धान आदि फसलें बोकर उत्पादन करतें है, किन्तु यदि वे अपने कुछ खेतों में बागवानी फसलें बोये तो उन्हें अच्छा खासा लाभ होगा। उत्तर प्रदेश की विविधता पूर्ण जलवायु सभी प्रकार की बागवानी फसलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। बागवानी फसलों के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के फलों पपीता, अमरूद, केला, आम, अंगूर, बेल आदि शागभाजी, में फूलगोभी, बन्दगोभी, मटरटमाटर, सलजम, आलू, प्याज, लौकी, कद्दू, गाजर, आदि, मसालोंमें धनिया, हल्दी, सौफ, जीरा, मिर्चा, लहसून, आदि, औषधीय खेती में एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा, पिपरमेंट, सतावरी, तुलसी, ब्राही आदि फसलें बोकर किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे है। बागवानी खेती के लिए सरकार अनुदान भी दे रही है, जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है।
प्रदेश में अधिकतर छोटे, लघुऔर मध्यम किसानों द्वारा परम्परागत खेती के स्थान पर बागवानी खेती को अपनाकर फसलें उत्पादित कर आर्थिक लाभ लिया जा रहा है। बागवानी फसलो का कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है। बागवानी फसलें इकाई क्षेत्र से अधिक आय, रोजगार एवं पोषण उपलब्ध कराने में सक्षम है। बागवानी फसलें विविधतापूर्ण होती है। बढ़ती मॉग तथा कृषि में महत्वपूर्ण योगदान, फसलों के व्यावसायीकरण विविधीकरण से प्रदेश सरकार बागवानी फसलों के क्षेत्रफल में विस्तार करते हुए किसानों को हरत रह की सुविधा दे रही है। प्रदेश सरकार पुराने आम, अमरूद, ऑवला आदि के अनुत्पादक बागों के जीर्णोद्वार कराकर उनके उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर रही है, साथ ही गुणवत्ता युक्त रोपण सामग्री का उत्पादन कर पौधों को अधिक से अधिक रोपण हेतु किसानों, उत्पादकों को दे रही है। जिससे सम्बंधित फसल का वे अधिक से अधिक उत्पादन कर सके। विभिन्न फलों/शाकभाजी/ मसालों/औषधियों की फसलों के तुड़ाई/कटाई के उपरान्त उनके रख रखाव के उचित प्रबन्धन, वाजिब मूल्य पर बिक्रय कराकर किसानों को उनकी फसल का मूल्य दिलाने सहित बागवानी फसलों को बढ़ावा देते हुए सरकार प्राथमिकता से क्रियान्वयन करा रही है।
उ0प्र0 के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में फल, शाकभाजी, आलू पुष्प, मसाल,े औषधीय एवं सगंध पौधों, पान विकास के साथ-साथ सहायक उद्यम के रूप सेमौन पालन, मशरूम उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, पान की खेती आदि के लिए विभिन्न योजनायें संचालित की है। जिनका लाभ किसानों को दिया जा रहा हैं। प्रदेश में एकीकृत बागवानी विकास मिशन, ड्रिप/स्पिं्रकलर सिंचाई की स्थापना, औषधीय पौध मिशन, अनुसुचित जाति/अनुजनजाति बाहुल्य क्षेत्र में बागवानी विकास के माध्यम से कृषकों को अनुदान देते हुए उनके उत्पादन में वृद्धि की जा रही है। प्रदेश में विभिन्न फसलों को खाद्य प्रसंस्करण करने के लिए स्थापित इकाइयों में आवश्यक मानव संसाधन के दृष्टि से भी बागवानी फसलों के किसानों कृषि मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनान्तर्गत प्रदेश में 76392हे0 क्षेत्र में नवीन उद्यान रोपण, शाकभाजी बीज, पुष्प, मसाला औषधीय फसलों का विस्तार किया गया है। आफ सीजन हाईवैल्यू सब्जी व पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ग्रीनहाउस एवं शेडनेटहाउस 406 एकड़ में निर्माण कराते हुए 494 से अधिक किसानो ंको लाभान्वित किया गया। चालू वर्ष में 26194 हे0 क्षेत्रफल का विस्तार किया जा रहा है। कृषि कल्याण अभियान के अन्तर्गत गॉवों में किसानों को तकनीकी जानकारी व पौधे तथा बीज वितरित किये जा रहे है। प्रदेश के किसानों को उच्च गुणवत्ता के फल व सब्जी के पौधों की उपलब्धता तथा नवीन तकनीकी हस्तान्तरण के उद्देश्य से इजराइल सरकार के तकनीकी सहयोग से बस्ती में फल एवं कन्नौज में शाकभाजी के सेन्टर आफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है। 7 जिलों में मिनी सेन्टर स्थापित किये जा चुके है। प्रदेश में 13 मिनी सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस बन रहे हैं।
प्रदेश सरकार बुन्देलखण्ड तथा विंध्य क्षेत्र में विभिन्न संचालित योजनाओं के लाभार्थी कृषकों को नये बागों को उनके खेतों पर स्थापना हेतु प्रोत्साहित करने के लिए लाभार्थियों को एक हेक्टेयर तक के बाग स्वयंफेंसिंग सुविधा के साथ लगाने पर प्रोत्साहन धनराशि भी उपलब्ध कराती है। बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के अन्तर्गत भी कार्यक्रम संचालित करते हुए किसानों को सुविधा दी जा रही है। विभाग द्वारा उत्पादन इकाइयों पर उत्पादित छोटे पौधे, कलमी, बीज शोभाकर पौधे आदि बिना लाभ-हानि के लागत मूल्य पर जनसाधारण को सुलभ कराये जाते है। विभाग द्वारा मशरूम, पान, मधुमक्खी पालन सहित अन्य बागवानी फसलों की पूर्ण जानकारी के लिए किसानों/उत्पादकों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा बागवानी विकास हेतु किसानों की दी जा रही सुविधाओं से किसान फसलों का उत्पादन करते हुए अपनी आय दोगुना कर रहे है।