मधुमक्खी पालन अनुपूरक कृषि उद्यम के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मधुमक्खियॉ प्रत्यक्ष एवं अप्रतक्ष रूप से किसानों के दैनिक जीवन से लेकर उनकी आर्थिक आय बढ़ोत्तरी में सहायक है। मधमक्खियो से शहद उत्पादन के साथ-साथ फसलों में पर-परागण से पौधों की जीवितता एवं उत्पादन में वृद्धि होती है तथा पर्यावरण संतुलन में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान है। किसानों की आय में वृद्धि के लिए कृषि के साथ-साथ अन्य ऐसे अनुपूरक व्यवसाय अपनाये जाने की आवश्यकता है, जिसमें कम भूमि एवं कम पूंजी की जरूरत हो। मधुमक्खी पालन को अनुपूरक कृषि उद्यम के रूप में अपनाकर कम पूंजी व कम समय में अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित/बढ़ावा देने के उद्देश्य से वैज्ञानिक ढंग से मौनपालन किये जाने हेतु औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, सहारनपुर, व बस्ती, एवं अधीक्षक, राजकीय उद्यान, प्रयागराज में माह सितम्बर, 2022 से दिसम्बर, 2022 तक तीन माह (90 दिवसीय) प्रशिक्षण सत्र का आरम्भ हो रहा है। यह प्रशिक्षण विभाग द्वारा निःशुल्क प्रदान किया जायेगा, प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को ठहरने एवं खाने आदि की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।
इस प्रशिक्षण में प्ररूष एवं महिलायें सभी वर्ग के अभ्यर्थी प्रतिभाग कर सकते है, इसके लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता कक्षा आठ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण मेें भाग लेने वाले इच्छुक व्याक्तियों को अपने निकटतम सुविधा अनुसार संयुक्त निदेशक, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, सहारनपुर, संयुुक्त निदेशक, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र बस्ती एवं अधीक्षक, राजकीय उद्यान, प्रयागराज से सम्पर्क कर निर्धारित रूप-पत्र पर दिनांकः 22 सितम्बर, 2022 तक आवेदन कर मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है। आवेदन-पत्र के साथ दो सभ्रांत व्याक्तियों या राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रदत्त चरित्र प्रमाण-पत्र आवश्यक है।