पीलीभीत- निजी स्कूलों की मनमानीः शिक्षा का व्यापार, अभिभावकों की जेब पर डाला जा रहा ढाका

मोटा मुनाफा कमाने का सबसे आसान तरीका अपनाया गया है। नया सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों की मनमानी बेलगाम हो चुकी है। शहर के ज्यादातर निजी स्कूलों में अभिभावकों पर दबाव डाला जा रहा है ।कि वे बच्चों की किताबें सिर्फ स्कूल द्वारा तय दुकानों से ही खरीदें। इन दुकानों पर वही किताबें दो से तीन गुना कीमत पर बेची जा रही हैं । निजी स्कूलों की मनमानी के कारण- किताबों की कीमतें बढ़ी – निजी स्कूल एनसीईआरटी की जगह मनमाने निजी प्रकाशकों की किताबें लगवाते हैं। जिससे निजी स्कूलों की कमाई का जरिया बना । सिलेबस बदलने से परेशानी- हर साल सिलेबस बदल दिया जाता है, जिससे पुराने छात्र की किताबें नए छात्र के काम ना आसके। कमीशन की व्यवस्था- स्कूल प्रबंधन का 30 से 50 प्रतिशत कमीशन बंधा होता है, जिससे किताबों की कीमतें बढ़ जाती हैं। अभिभावकों की परेशानी सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों में किताबों की कीमतों में अंतर सरकारी स्कूलों में मिलने वाली वही किताबें प्राइवेट स्कूल में तीन गुना दाम पर मिल रही हैं। किताबों की कीमतें कौन तय कर रहा है? -अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किताबों की कीमतें कौन तय कर रहा है? – शिक्षा विभाग की चुप्पी – शिक्षा विभाग की चुप्पी और लचर निरीक्षण व्यवस्था इस गोरखधंधे को खुली छूट दे रही है।

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