दिल्ली में 20 साल पहले करवा चौथ के दिन एक अनाज व्यापारी के अपहरण और हत्या में शामिल 41 वर्षीय एक शख्स को पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से गिरफ्तार किया है. आरोपी अपना नाम और पहचान बदल कर वहां छोले-भटूरे का ठेला लगाता था. उसका असली नाम सिपाही लाल है, लेकिन गुरदयाल बनकर रह रहा था. पुलिस आरोपी को दिल्ली लाकर पूछताछ करने वाली है.
जानकारी के मुताबिक, हत्या की ये वारदात 31 अक्टूबर 2004 की है. उस दिन करवा चौथ था. मुख्य आरोपी सिपाही लाल ने अपने साथियों मुकेश वत्स, शरीफ खान, कमलेश और राजेश के साथ मिलकर फिरौती के लिए अनाज व्यापारी रमेश चंद गुप्ता का अपहरण कर लिया. लेकिन फिरौती वसूलने से पहले ही आरोपियों ने मारपीट करने के बाद चाकू से उसकी बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी.
पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राकेश पावरिया ने बताया कि पीड़ित के साथ चारों आरोपियों ने बेरहमी की थी. उसके चेहरे पर कई बार पेंट छिड़का गया था. उसके बाद चाकू से कई बार तब तक मारा जब तक कि वो मर नहीं गया. शकरपुर निवासी रमेश किसी काम के लिए अपनी कार में घर से निकले थे, लेकिन वापस नहीं लौटे. परिजनों ने कई बार कॉल किया, लेकिन जवाब नहीं मिला.
डीसीपी ने बताया कि जब कई बार कॉल करने के बाद भी रमेश गुप्ता ने जवाब नहीं दिया तो उनके भाई जगदीश कुमार ने शालीमार बाग पुलिस स्टेशन में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने स्थानीय फल और सब्जी व्यापारी मुकेश वत्स पर शक जताया. 2 नवंबर 2004 को बहादुरगढ़ सीआईए पुलिस ने रमेश की कार बरामद कर, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला.
इस बीच पुलिस की टीम ने मुकेश वत्स को गिरफ्तार कर लिया, जिसने अपराध में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली. उसने पुलिस को बताया कि अपने साथियों सिपाही लाल, शरीफ खान, कमलेश और राजेश के साथ मिलकर फिरौती के लिए रमेश गुप्ता का अपहरण कर लिया था. चारों आरोपी मुकेश वत्स के ही कर्मचारी थे. उन्होंने रमेश गुप्ता को मिलने के लिए बुलाया था.
बेरहमी से हत्या कर शव को नाले में फेंका
इसके बाद उसे कराला गांव के एक कमरे में ले गए. वहां उन सभी ने पीड़ित के चेहरे पर रंग छिड़क कर उसे प्रताड़ित किया. जब पीड़ित बेहोश हो गया, तो उन्होंने उस पर कई बार चाकू से वार किया. उसकी हत्या के बाद उसके शव को एक बोरे में पैक करके कराला गांव के एक नाले में फेंक दिया. मुकेश की निशान देही पर पुलिस ने पीड़िता का शव नाले से बरामद कर लिया.
2 दशक के बाद मिली कातिल की लोकेशन
इसके बाद इस मामले में शरीफ खान और कमलेश को कराला गांव से गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन सिपाही लाल और राजेश फरार हो गए. लंबे समय तक उनकी गिरफ्तारी नहीं होने के बाद अदालत ने उन्हें वांटेड अपराधी घोषित कर दिया. करीब दो दशकों के इंतजार के बाद पुलिस को मुखबिरों के द्वारा सूचना मिली की सिपाही लाल उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रह रहा है.
पुलिसकर्मी ने लगाया आम का ठेला
सिपाही लाल की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने पूरी योजना बनाई. इसके तहत एक पुलिसकर्मी एएसआई सोनू नैन आम का ठेला लेकर उस इलाके में टहलने लगा, जहां हत्यारोपी अपना छोले-भटूरे का ठेला लगाता था. दो दिनों में उसकी पहचान सुनिश्चित होने के बाद पुलिस ने उसे धर दबोचा. सिपाही लाल मैनपुरी के रामलीला ग्राउंड में ‘गुरदयाल छोले वाला’ के नाम से ठेला लगाता था.
तीन आरोपियों को आजीवन कारावास
इस मामले में मुकेश वत्स, शरीफ खान और कमलेश के खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र दायर किया था, जिसके बाद उन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अब सिपाही लाल को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस अदालत में उसके खिलाफ भी आरोप पत्र दायर करेगी. इसके आधार पर उसे उम्रकैद मिलने की संभावना है. चौथा आरोपी राजेश अभी भी फरार है. उसकी तलाश की जा रही है.