मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में कमरा नंबर सात के पास लगी आग के बाद भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन अब-तक गंभीर नहीं हुआ है। हादसे के बाद 24 अक्तूबर को मरम्मत के नाम पर ओपीडी तो बंद करा दी गई, लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। यहां तक कि घटना के समय बजने वाला अलार्म भी अब-तक चालू नहीं हो सका है। ऐसे में बदड़े हादसे की आशंका बनी हुई है।
24 अक्तूबर को मेडिकल कॉलेज की ओपीडी परिसर में कमरा नंबर सात के बाहर लगे पैनल बोर्ड में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। इससे वहां पर अफरा-तफरी मच गई थी। आनन-फानन में वहां के कर्मचारियों ने फायर सिलिंडर की मदद से आग को बुझाया। इसके बाद वहां की ओपीडी बंद कराकर दूसरी साइड में शिफ्ट कर दी।
इससे काफी देर तक कामकाज प्रभावित रहा। जानकारी पर पहुंचे अधिकारियों ने मरम्मत के नाम पर उस पैनल बोर्ड में खुली वायरिंग कराकर टेपिंग करा दी। इससे कभी भी बड़े हादसे की संभावना बनी हुई है। बावजूद इसके जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है।
फायर एनओसी के लिए पूरे परिसर में इंतजाम किए गए है। इसके लिए फायर अलार्म बोर्ड भी लगाया गया। घटना वाले दिन भी फायर अलार्म नहीं बजा। इसके बाद अधिकारियों ने इसे सही कराने का दावा किया। मगर 15 दिन बीत जाने के बाद आज भी यह अलार्म बोर्ड शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में आग लगने पर अब भी लोगों को जानकारी तक नहीं लगेगी।
घटना के कुछ दिन बाद फायर ब्रिगेड की टीम ने जिला अस्पताल पहुंचकर वहां के अधिकारियों व कर्मचारियों को आग से निपटने के तौर तरीके सिखाए, लेकिन वहां की व्यवस्थाओं का जायजा नहीं लिया। ऐसे में फायर ब्रिगेड के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है।
हादसे के बाद वहां की व्यवस्था को सही करा दिया गया है। जो कमियां रह गईं हैं उनकी जल्द ठीक कराया जाएगा। इसको लेकर पत्राचार किया जा रहा है। डॉ. रमाकांत सागर, सीएमएस मेडिकल कॉलेज