मैनपुरी। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा उगाए गए ऑयस्टर मशरूमों का स्वाद बच्चे मिड-डे-मील में चखेंगे। इससे न केवल बच्चों को स्वादिष्ट भोजन मिलेगा, साथ ही महिलाओं को भी मशरूम बिक्री करने में सहूलियत होगी। किशनी के गांव कुरसंडा में 11 समूहों ने इसकी शुरुआत की है।
रोजगार उपलब्ध कराने के लिए स्वयं सहायता समूह की मशरूम उगाने का प्रशिक्षण दिया गया था। इसके बाद गांव कुरसंडा की 150 महिलाओं ने मशरूम की बुवाई की। विशेषज्ञों के निर्देशन में महिलाओं की मेहनत रंग लाई। पहली फसल तोड़ने के लिए तैयार हो चुकी है। लेकिन इसकी बिक्री को लेकर वह परेशान थीं।
मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया ने उनकी समस्या को दूर करते हुए मिड-डे-मील में मशरूम की बिक्री करने के आदेश दिए। मशरूम उत्पादन करने वालों में गांव कुरसंडा निवासी पूनम, आशा देवी, रेखा देवी, रेनू, मिथिलेश, स्वाती, संतोषी देवी, मालती देवरीता, कृष्णाकांति और मनू कुमारी आदि शामिल हैं।
जनवरी में सीडीओ ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मशरूम उगाने के लिए प्रशिक्षण देने की पहल की थी। महिलाओं को चयनित करने के बाद तीन चरणों में गांव कुरसंडा की 150 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया। पहले चरण में उन्हें क्लासरूम प्रशिक्षण के बाद दूसरे चरण में सिरसागंज स्थित एक मशरूम उत्पादन फार्म पर ऑनसाइट ट्रेनिंग कराई गई। वहीं तीसरे चरण के प्रशिक्षण के लिए उन्हें कृषि विश्वविद्यालय कानपुर भेजा गया था। इसके बाद बीते तीन फरवरी को बुवाई की गई थी।
जिले में कुल 1909 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें 1.69 लाख बच्चे पंजीकृत हैं, जिन्हें प्रतिदिन मिड-डे-मील दिया जाता है। अगर सप्ताह में एक बार भी उन्हें मशरूम दिया जाता है तो भी इसकी खपत बढ़े पैमाने पर होगी। इससे ये फायदा होगा कि बड़ी मात्रा में उत्पादन होने पर भी इसकी आसानी से खपत की जा सकेगी।
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए मशरूम बिक्री करने के लिए प्रशासन मदद करेगा। इसके तहत मिड-डे-मील में इसकी आपूर्ति कराई जाएगी। इससे महिलाओं को भी बिक्री करने में आसानी होगी। – ईशा प्रिया, सीडीओ।