अहीर रेजिमेंट की मांग भिन्न भिन्न प्रांतों में व्यापक स्तर पर अपना विकराल रुप ले रही है उसी अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर जनपद मैनपुरी में आज वीर अहीर आल्हा की जयंती पर जनजागृति एवं पद यात्रा निकली गयी जो किमैनपुरी के करहल चौराहे इस आरम्भ हुई और ईश्वर नदी के पुल पर इस यात्रा का समपन्न हुआ
और आपको बताते की भारत के इतिहास में अनेकों वीरों के शौर्य और साहस की गाथाओं के बारे में बताया गया है। जैसे कि महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई और ना जाने कितने ऐसे नाम हैं जिन्होंने इतिहास पर अपनी वीरता की अमिट छाप छोड़ दी है। आज एक ऐसे दो वीर योद्धाओं की अद्भुत कहानी आपको बताते है जिनको इतिहास के पन्नों में वो स्थान
हासिल ना हो सका जो दूसरों को हुआ। बुंदेलखंड की मिट्टी को गौरव दिलाने वाले दो भाई आल्हा और ऊदल।
12वीं सदी में बुदेलखंड के महोबा के दशरथपुरवा गांव में जन्मे ये दोनों भाई बचपन से ही शास्त्रों के ज्ञान और युद्ध कौशल में निपुण होने लगे थे। आल्हा और ऊदल भाइयों की वीरगाथा आज भी बुंदेलखंड में गाई जाती है। इनमें से आल्हा का आज जन्मदिन है, इसके लिए यूपी के जिला मैनपुरी में जनजागृति पदयात्रा , शहर के मुख्य मार्किट और बाजार में ,अहीर रेजिमेंट की मांग रखने वाले लोगों ने निकाली, यहाँ गगन यादव ने अहम भूमिका निभाई. इस दौरान लोगों ने सरकार से अहीर रेजिमेंट बनाये जाने की मांग की, इस पदयात्रा की झलक आप देख सकते हैं.
बता दें की आल्हा और ऊदल दोनों भाई एक दूसरे के साथ मुसीबत के समय खड़े रहते थे। आल्हा चंदेल सेना के सेनापति थे और कवि जगनिक की कविता आल्हा खंड में इन दोनों भाइयों की लड़ी गई 52 लड़ाइयों का वर्णन किया गया है। ऐसे वीर लोगों को समझना जरूरी भी है.
द दस्तक 24 न्यूज प्रोडेक्शन चीफ – अर्पित यादव