मैनपुरी:शहर के कटरा स्थित श्रीअजितनाथ जिनालय में आचार्य प्रमुख सागर की शिष्या प्रतिज्ञा श्री परीक्षा, श्री प्रेक्षा और श्री माता जी के सानिध्य में संगीतमय शांति धारा- अभिषेक पूजन हुआ। 27 वें दिन भक्तामर विधान करने का सौभाग्य पंजाबी कालोनी निवासी सरिता जैन, गौरव जैन और सक्षम जैन परिवार को मिला।
27 वें श्लोक का अर्थ बताते हुए प्रतिज्ञा श्री माताजी ने कहा, हे मुनिवर हमें ऐसा लगता है कि संसार के सभी सद्गुणों ने आपका ही आशीर्वाद पा लिया है, इसलिए आप में एक भी अवगुण नहीं है। वे सारे दुर्गुण अन्यत्र दूसरे लोगों ने दृढ़ता से अपना लिए हैं। अब वे दुर्गुण मिथ्या अभिमान के कारण स्वप्न मैं भी लौटकर आपकी ओर नहीं देखेंगे।
उन्होंने कहा कि महावीर को मानने वाला श्रावक नहीं, महावीर को सुनने वाला श्रावक है। श्रावक का अर्थ है जो श्रवण में समर्थ है, जो सुनने की कला में निपुण है। अभी हमें सुनना ही नहीं आता, यही एकमात्र कारण है कि वर्षों से मुनि आचार्य को सुनने के बाद भी जीवन में कोई परिवर्तन कोई क्रांति नहीं हो पाती। अभी हम संतों को नहीं, अपने आप को सुनते हैं। हम वही सुनते हैं जिससे हमारी धारणा मजबूत होती है। जो हमें बदलता है उसे हम सुनते ही नहीं हैं। सायं कालीन धर्म सभा में त्रय माताजी द्वारा धार्मिक कक्षाओं के द्वारा युवा वर्ग महिलाएं पुरुष और बच्चों को धार्मिक संस्कार भी दिया जा रहे हैं। शाम को प्रश्न मंच प्रतियोगिताएं भी की जा रही है।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रमुख सागर युवा मंच, सचि महिला मंडल, पुष्प प्रमुख चातुर्मास समिति का सहयोग रहा। संचालन पंडित कमल जैन ने किया।
अर्पित शर्मा मैनपुरी: