विधानसभा चुनाव में इस बार करहल सीट पर अखिलेश यादव ने वोट का नया कीर्तिमान रच दिया। अब तक सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए उन्हें सर्वाधिक 1.48 लाख वोट मिला। इससे पहले कभी भी सपा को इतना वोट नहीं मिला।वहीं अन्य सीटों पर भी सपा को वोट तो बढ़ा, लेकिन जीत केवल करहल और किशनी में ही सपा को हासिल हो सकी।
जिले की चारों विधानसभा सीटों पर सपा और भाजपा के बीच ही कांटे का मुकाबला रहा। लेकिन करहल में सपा ने वोट का एक नया रिकॉर्ड कायम किया। अखिलेश यादव को इस बार 148196 वोट मिले। इससे पहले कभी भी सपा को इस सीट पर इतना वोट नहीं मिला। 2017 में भी सपा के टिकट पर सोबरन सिंह ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उन्हें 104221 मत ही मिले थे।
हालांकि अगर भाजपा के वोट पर भी नजर डालें तो करहल में भाजपा का वोट भी बढ़ा है। बीते चुनाव में जहां भाजपा प्रत्याशी रमा शाक्य को 65816 वोट मिला था तो वहीं इस बार प्रो. एसपी सिंह बघेल को 80692 वोट मिला। लेकिन भाजपा के सिर जीत का सहरा नहीं बंध सका। मैनपुरी सदर सीट की अगर बात करें तो यहां सपा और भाजपा दोनों का ही बीते चुनाव की अपेक्षा वोट बढ़ गया। लेकिन जीत भाजपा को मिली। दरअसल बीते चुनाव में सपा प्रत्याशी राजकुमार यादव को 75787 वोट मिले थे और वे जीते थे। इस बार चुनाव में उन्हें 93048 वोट मिला, लेकिन फिर भी जीत नहीं मिल सकी। इसका कारण साफ रहा कि बीते चुनाव में 66956 वोट पाने वाली भाजपा को इस बार 99814 वोट मिला, जिससे भाजपा ने जीत का स्वाद चखा।
एक बार फिर भोगांव विधानसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। पार्टी प्रत्याशी रामनरेश अग्निहोत्री ने जीत दर्ज की लेकिन इस बार जीत का अंतर कम हो गया। बीते चुनाव में भाजपा को 92697 वोट मिले थे और 22 हजार के अंतर से सपा प्रत्याशी आलोक शाक्य को हराया था। इस बार रामनरेश को 97208 वोट मिले, फिर भी जीत का अंतर चार हजार के आसपास ही सिमट गया। इसका कारण सपा को भी वोट में बढ़त मिलना ही रहा। सपा प्रत्याशी आलोक शाक्य को बीते चुनाव में जहां 72400 वोट मिला था तो इस बार उन्हें 92441 वोट मिले।
किशनी में सपा बृजेश कठेरिया के वोट बढ़ने के साथ ही जीत का अंतर भी बढ़ गया। वर्ष 2017 के चुनाव में बृजेश कठेरिया को कुल 80475 वोट मिले थे, जबकि वर्ष 2022 के चुनाव में उन्हें 97070 वोट मिले हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में बृजेश 16529 वोट से जीते थे जबकि इस बार जीत का अंतर बढ़कर 19151 हो गया।