कलीनगर में बाघों की बढ़ती संख्या के बीच जंगल मार्गों पर उनकी सक्रियता बढ़ने लगी है। सुरक्षा को ध्यान में रखकर विभाग की ओर से नियम तो बना दिए गए, लेकिन अमल नहीं हो सका। जंगल क्षेत्र में बाघों की चहलकदमी के लगातार वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। पूर्व में बाइक सवारों पर हमले की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। माला और महोफ रेंज सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 65 से अधिक बाघ है। एनटीसीए के नई रिपोर्ट में संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। बढ़ती संख्या से जंगल और उसके बाहर बाघों की चहलकदमी भी बढ़ रही है। इसके साथ जंगल मार्गों पर भी बाघ अधिक देखे जा रहे हैं। माला रेंज के जंगल से गुजरने वाले माधोटांडा -पीलीभीत और महोफ के जंगल से गुजरने वाले पूूरनपुर -खटीमा मार्ग पर बाघ की चहलकदमी अक्सर देखी जाती है।
इसको देखते हुए अफसरों की ओर से नियम बनाए गए। जंगल में प्रवेश के बाद वाहनों की स्पीड को निर्धारित करने के साथ बाइक सवारों को झुंड के रूप में निकलने के निर्देश दिए गए। इसके लिए रेंज स्तर पर आदेश भी जारी किए गए थे, लेकिन कुछ समय अमल के बाद स्थिति खराब हो गई। स्पीड के साथ अन्य नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। महोफ रेंज के जंगल मार्ग पर छह माह में बाइक सवारों पर बाघ हमले की दो घटनाएं सामने आ चुकी है। एक सप्ताह पूर्व से कई वीडियो वायरल हुई, जिसमें बाघ जंगल मार्ग के निकट चहलकदमी करते दिख रहा है।
बाघों की सुरक्षा पर भी मंडरा रहा खतरा
पीटीआर की सीमा उत्तराखंड और नेपाल की सीमा से मिली हुई है। इसके चलते तस्करी की घटनाएं भी हावी रहती है। पूर्व में वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो की ओर से अलर्ट भी जारी किया गया है। पीटीआर के जंगल मार्ग से होकर उत्तराखंड जाने का रास्ता है। नियमों पर सख्ती न होने से अवैध गतिविधियों का खतरा भी मंडरा रहा है।
तेज रफ्तार से तेंदुओं की हो चुकी मौत
जंगल के नियमों का पालन न करने से वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी चुनौती बना रहा है। पूर्व वर्षों में असम हाइवे पर जंगल मार्ग के अंतर्गत वाहन की टक्कर से मार्ग मार करते समय एक तेंदुए की मौत हो गई थी। माला रेंज के माधोटांडा पीलीभीत मार्ग पर ही रिछौला के निकट भी एक तेंदुए की मौत हो चुकी है। जंगल क्षेत्र में वाहनों की स्पीड समेत अन्य नियमों का पालन करने के लिए संकेतांक लगवाए गए हैं। रेंज के कर्मचारियों को भी नियमों का पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। – नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर