मैनपुरी के कोतवाली क्षेत्र में 8 साल पूर्व हुए गवेन्द्र उर्फ़ नीलू हत्याकांड के आरोपी मृतक की पत्नी और उसके प्रेमी को एफटीसी जज चेतन चौहान की अदालत ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। गवाही में रात में सोते समय गला दबाने की पुष्टि हुई थी। दोनों को आजीवन कारावास की सजा के साथ 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार, कोतवाली क्षेत्र के नगला कीरत में 5 दिसंबर 2015 की रात गवेंद उर्फ नीलू की सोते समय हत्या की गई थी। हत्या की रिपोर्ट मृतक नीलू के पिता रामसेवक ने आरोप लगाते हुए नीलू की पत्नी प्रेमलता उर्फ़ पिंकी उसके प्रेमी बबलू और उसके दोस्त सर्वेंद्र के खिलाफ दर्ज कराई थी। पुलिस ने पिंकी और उसके प्रेमी बबलू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विवेचना में पुलिस ने बबलू, पिंकी, सर्वेंद्र को घटना का दोषी मानकर चार्ज शीट कोर्ट में दाखिल कर दी।
11 साल के बेटे ने खोला था हत्या का राज
हत्याकांड की सुनवाई एफटीसी प्रथम जज चेतन चौहान की अदालत में चल रही थी। अभियोजन पक्ष की तरफ से वादी, विवेचक, चिकित्सक, मृतक के 11 वर्षीय पुत्र शिवांग प्रताप उर्फ ने गवाही दी। उसने बताया था कि उसकी मां और उसके प्रेमी बबलू ने गला घोट कर उसके पिता की हत्या कर दी थी। पिता के चीखने पर वह कमरे में पहुंचा था तब बबलू अंकल ने कहा था अगर किसी को कुछ बताया तो उसको भी मार देंगे।
साक्ष्य संकलन और गवाहों की गवाही के बाद पिंकी और उसके प्रेमी बबलू को मृतक नीलू की हत्या करने अदालत में दोषी पाया गया। एडीजीसी मुकुल रायजादा ने दोषियों को कड़ी सजा देने की दलील दी थी। जिसमें कोर्ट ने पत्नी और उसके प्रेमी को घटना में दोषी माना। तीसरे आरोपी सर्वेंद्र को घटना का दोषी न मानते हुए न्यायालय ने बरी कर दिया।
आरोपियों ने जेल में रहकर लड़ा मुकदमा
हत्या के आरोपी पत्नी और उसके प्रेमी बबलू को पकड़कर पुलिस ने जेल में भेज दिया था। उन्होंने अदालत में अपनी जमानत की कई अर्जियां लगाईं लेकिन उनकी किसी भी अदालत से जमानत मंजूर नहीं हुई। दोनों ने जेल से ही रहकर अपना मुकदमा लड़ा। दोनों को मुकदमे निर्णय सुनने के लिए जेल से अदालत लाया गया जहां से उनको फिर दोबारा जेल भेज दिया गया।
बेसहाराओं को सरकार से दिलाया जाए प्रतिकर
कोर्ट के आदेश में एफसी जज चेतन चौहान ने लिखा है कि मृतक नीलू पर अपने नाबालिग पुत्र उमंग और पुत्री आराधना की परवरिश का जिम्मा था। पिता की मौत के बाद से दोनों बेसहारा हो गए हैं। दोनों की परवरिश के लिए सरकार से प्रति कर दिलाया जाए। इस संबंध में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को एक पत्र लिखा जाए।