बिहार के जिला वैशाली के जन्दाहा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे उपेन्द्र कुशवाहा बिहार के शीर्ष नेताओं में से एक हैं। जिस तरह से नीतीश कुमार, राम विलास पासवान, लालू यादव की राजनीतिक शुरुआत जेपी आंदोलन से हुई उसी तरह उपेन्द्र कुशवाहा की भी राजनीतिक पाठशाला वहीं से शुरू हुई। उपेन्द्र कुशवाहा ने पटना के साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरी की उसके बाद मुजफ्फरपुर के बी. आर. अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से राजनीति में एम. ए. किया। राजनीति में पढ़ाई पुरी करने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने जन्दाहा कॉलेज में लेक्चरर के पद पर भी काम किया।
1985 में उपेन्द्र कुशवाहा ने राजनीति में कदम रखा और लोक दल के यूथ विंग से जुड़ गए। नीतीश कुमार उनके सीनियर थे और कहा जाता है कि उपेन्द्र कुशवाह ने उन्हीं से राजनीति की बारीकियां, ड्रेस सेंस, राजनीतिक विषयों पर पकड़ बनाना सीखा। उपेन्द्र कुशवाहा पर नीतीश का बड़ा प्रभाव रहा और उन्हीं के कहने पर उन्होंने अपने नाम में बदलाव भी किया। उपेन्द्र पहले अपने नाम में ‘सिंह’ लगाते थे लेकिन नीतीश कुमार के कहने पर उन्होने ‘कुशवाहा’ लगाना शुरू किया। इसके पीछे मकसद यही था कि अपनी जातीय पहचान दिखाकर एक खास वर्ग के लोगों के बीच राजनीतिक पकड़ मजबूत की जाए। बिहार में कुशवाहा अथवा कोइरी जाति कुल आबादी का 7% है और बिहार की जातिगत राजनीति में उनका वोट हर राजनीतिक पार्टी के लिए अहम होता है।