कन्नौज जिले में सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू की फसल सबसे अधिक मात्रा में होती है।प्रति वर्ष जिले में करीब पचास हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर किसान आलू की फसल की पैदावार करते हैं।आलू की पैदावार बंपर और बेहतर होने के अलावा उन्नत किस्म की पैदावार हो,इसके लिये किसानों को फसल विशेषज्ञों ने जागरूक किया।मंगलवार को तिर्वा क्षेत्र के कलुआपुर गांव में आलू की फसल को बेहतर और उन्नतशील बनाने को लेकर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में इंडोरामा द्वारा आयोजित किसान जागरूकता कार्यक्रम में वैज्ञानिक डेवलपमेंट मैनेजर डा.विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि प्रधानमंत्री प्रणाम योजना के तहत आर्गेनिक खाद की खेती के लिये इंडोरामा संस्था किसानों को जागरूक करने का अभियान चला रही है।संस्था के तीन प्रोडक्ट पारस सिलिका,शक्तिमान ऊर्जा,और पारस वीटा डायमंड का भारत सरकार योगदान कर रही है। कन्नौज से एरिया सेल्स मैनेजर प्रियेश दीक्षित ने बताया कि भारत सरकार द्वारा अनुमोदित संस्था इंडोरामा के प्रोडक्ट्स के अनुरूप इस बात का ध्यान रखा जाय,कि फसल में पचास किलो पर एक एकड़ पारस सिलिका,20 किलो प्रति एकड़ पर शक्तिमान ऊर्जा और 10 किलो प्रति एकड़ पर पारस वीटा डायमंड का ही उपयोग किया जाए ।रीजनल मैनेजर सेल्स आगरा अखिलेश सिंह का कहना था कि,फसल उत्पादन के समय किसानों को जागरूक रहना भी बेहद आवश्यक है। मौसम अनुकूल और प्रतिकूल होने के दौरान बताये गये रखरखाव का ध्यान रखा जाय।यदि खरपतवारों को उचित समय पर नियंत्रित नहीं किया जाय,तो यह आलू की उपज एवम गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।इससे आलू की आर्थिक उपज में बीस से पचास प्रतिशत तक नुकसान होता है।आलू विशेषज्ञ जिला होल सेल वितरक आर के इंटर प्राइजेज कन्नौज राजेश कटियार का कहना था कि आलू की फसल को हल्की और जल्दी सिंचाई की आवश्यकता होती है।सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखा जाय कि पानी मेड़ों में हमेशा उसकी ऊंचाई के 3/4 भाग तक ही दिया जाय।आलू की रोपाई अच्छी नमी वाली मिट्टी में ही की जाय,इसके अलावा पौधे निकलने के लगभग 15 से 20 दिन बाद सिंचाई की जाय।आलू विशेषज्ञों का कहना था कि टमाटर और प्याज की तरह भारत में आलू का सेवन बारहमासी के रुप में किया जाता है। इसकी खपत अधिक है। इसलिये आलू की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। यह जमीन के अंदर उगाई जाने वाली एक कंदीय फसल है,जिसकी खेती करना बहुत आसान है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आलू की पैदावार कम होने के कारण अब आलू कि खेती करने में लोगों की रुचि कम होती जा रही है।इस वजह से आलू की उत्पादकता में भी कमी आने लगी है।ऐसे में आलू की उत्पादकता और साइज बढ़ाने के लिये किसान को उपयुक्त खादों का उपयोग करना चाहिये।
कन्नौज से संवाददाता पूनम शर्मा