जलालाबाद (कन्नौज) पोषण माह के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ वी के कनौजिया ने बताया कि सहजन एक चमत्कारिक पौधा है ।भारत में सहजन को कई और नामों से भी जाना जाता है जैसे मुनगा, सहजना,सेजन, सुजना, मोरिंगा, ड्रमस्टिक आदि । इसमें कई तरह के गुण होते हैं, जिसके कारण यह काफी प्रसिद्ध है। यहाँ सहजन की खेती व्यापक रूप में की जाती है। इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग पूरे विश्व में खाने में स्वाद बढ़ाने से लेकर इसकी सब्जी और सूप बनाने में भी किया जाता है। बहुत से लोग इसको करी, सूप, सांभर या फिर अचार बना कर भी खाते हैं।इसके पत्ते, फल और फूल मनुष्य एवं पशुओं के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का भंडार हैं। सहजन में कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस पाया जाता है, जो बढ़ते बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ बुजुर्गों में बोन डेंसिटी के खतरे को कम करता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण कम होते हैं। सहजन के औषधीय गुण । सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
कन्नौज से संवाददाता पूनम शर्मा