जौनपुर:युवाओं को स्वामी विवेकानंद की जीवनी पढ़कर प्रेरणा लेनी चाहिए: डॉ समर बहादुर

जौनपुर-जिले के तिलकधारी महाविद्यालय में ग्राम स्वराज मंच के तहत बारह जनवरी को युवा चेतना दिवस के रूप में स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया तथा पैदल यात्रा निकालकर लोगों को जागरुक किया गया!कार्यक्रम में मुख्य रूप में समर बहादुर सिंह एचआर तिलकधारी महाविद्यालय ने अपने उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने लोगों को जगाने के लिए कहा था कि उठो,जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’का संदेश देने वाले युवाओं के प्रेरणा स्त्रो‍त, समाज सुधारक युवा युग- पुरुष ‘स्वामी विवेकानंद’ का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) में हुआ था!उनका जन्म दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रमु्ख कारण उनका दर्शन, सिद्धांत,अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं,जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्थापित किया।उनके ये विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।उनके लिए प्रेरणा का एक उम्दा स्त्रोत साबित हो सकते हैं।
कार्य क्रम के दौरान ग्राम स्वराज मंच के जिलाध्यक्ष अरविन्द कुमार पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं।उन्हीं के हाथों में देश की उन्नति की बागडोर होती है।आज के पारिदृश्य में जहां चहुं ओर भ्रष्टाचार,बुराई,अपराध का बोलबाला है जो घुन बनकर देश को अंदर ही अंदर खाए जा रहे हैं।ऐसे में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है।विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है जो सारे युवाओं को नई चेतना से भर दे।उनके दिलों को भेद दे। उनमें नई ऊर्जा और सकारात्कमता का संचार कर दे।
स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी भारत में तब उम्मीद की किरण लेकर आई जब भारत पराधीन था और भारत के लोग अंग्रेजों के जुल्म सह रहे थे। हर तरफ सिर्फ दु‍ख और निराशा के बादल छाए हुए थे। उन्होंने भारत के सोए हुए समाज को जगाया और उनमें नई ऊर्जा-उमंग का प्रसार किया।सन् 1897 में मद्रास में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था ‘जगत में बड़ी-बड़ी विजयी जातियां हो चुकी हैं। हम भी महान विजेता रह चुके हैं। हमारी विजय की गाथा को महान सम्राट अशोक ने धर्म और आध्यात्मिकता की ही विजय गाथा बताया है और अब समय आ गया है भारत फिर से विश्व पर विजय प्राप्त करे। यही मेरे जीवन का स्वप्न है और मैं चाहता हूं कि तुम में से प्रत्येक, जो कि मेरी बातें सुन रहा है, अपने-अपने मन में उसका पोषण करे और कार्यरूप में परिणत किए बिना न छोड़ें। हमारे सामने यही एक महान आदर्श है और हर एक को उसके लिए तैयार रहना चाहिए,मेरी आशाएं युवा वर्ग पर टिकी हुई हैं’।
स्वामी जी को यु्वाओं से बड़ी उम्मीदें थीं।उन्होंने युवाओं की अहं की भावना को खत्म करने के उद्देश्य से कहा है ‘यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खड़े हो जाओगे, तो तुम्हें सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढ़ेगा। यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले ‘अहं’ ही नाश कर डालो।’ उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहारों में शुद्ध‍ता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत् रहने का संदेश दिया।
आज भी स्वामी विवेकानंद को उनके विचारों और आदर्शों के कारण जाना जाता है। आज भी वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने हुए हैं।कार्य क्रम में डां उदय राज सिंह,सतीश चन्द्र गौड़,डां विजय सिंह ने कहा कि जो बच्चे विद्यालय नहीं जा सकते उन बच्चों तक विद्यालय को पहुंचाने के लिए एकल विद्यालय अभियान के द्वारा सभी गांव में विद्यालय खोलकर असहाय बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है !कार्यक्रम के दौरान पैदल चलकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया इस अवसर पर सन्जू बिन्द,प्रमीला प्रजापति,रेनू गौतम,सुषमा,संध्या कश्यप,पुनम साहू,प्रियका सिंह,दाया सिंह,मोहन यादव,अवधेश प्रजापति,सुरेन्द्र गौतम,विनय सिंह, संतोष कुमार, मुखराम यादव सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे संचालन मिठाई लाल व अध्यक्षता वेद प्रकाश सिंह ने किया|