शाहगंज(जौनपुर)
नगर की ऐतिहासिक श्रीराम लीला का बुधवार रात शुभारंभ हो गया। गांधीनगर कलेक्टरगंज के फड़ पर इसका शुभारंभ नगर पालिका परिषद चेयरमैन गीता प्रदीप जायसवाल ने आरती कर किया। इस दौरान वक्ताओं ने शाहगंज की रामलीला के गौरवशाली इतिहास को याद किया और नगर वासियों से रामलीला मंचन का साक्षी बनकर मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र को आत्मसात करने की अपील की। आरती में अध्यक्ष राम नारायण अग्रहरि और संरक्षक मंडल समेत समिति के तमाम पदाधिकारी भी शामिल हुए।
शाहगंज की इस मशहूर रामलीला का इतिहास 180 साल से ज्यादा का है। यहां की रामलीला, विजयदशमी और भरत मिलाप का भव्य आयोजन पूर्वांचल में विशिष्ट स्थान रखता है। बताते हैं कि पंडित अनंत राम शास्त्री ने रामनगर की रामलीला से प्रेरणा लेकर नगर में रामलीला की शुरुआत की थी। शुरुआत में लीला का मंचन पुराना चौक में होता था। बाद में पश्चिमी कौड़िया पक्का पोखरा पर बाबू छेदीलाल के दरवाजे पर रामलीला का मंचन होने लगा। समय के साथ रामलीला कलेक्टरगंज के चबूतरे पर पहुंची। नई आबादी में रामलीला मैदान के बगल चबूतरे पर भी तीन दिन रामलीला का मंचन किया जाता है। वर्तमान समय में दिन की लीला पक्का पोखरा पर और रात की रामलीला कलेक्टरगंज और नई आबादी में होती है। पुराना चौक पर भरत मिलाप की परंपरा है।
नगर के समाजसेवियों ने समिति बनाकर नगर के पक्का पोखरा और मुख्य मार्ग पर भूमि दान देकर समिति को आधार देने काम किया। रामलीला शुरू होने से लेकर भरत मिलाप तक समूचा नगर रामभक्ति के रस में सराबोर रहता है। दशहरा में यहां करीब 80 फुट ऊंचा विशालकाय रावण का पुतला दहन देखने के लिए अगल-बगल के जनपदों से लोग पहुंचते हैं। दशहरा मेले में नगर की महिलाएं और बच्चे बैलगाड़ी, ट्रैक्टर और ट्रक पर सवार होकर मेला देखने जाते हैं। भरत मिलाप मेले में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पुष्पक विमान रुपी भारी-भरकम रथ को देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ता है। इस विशालकाय रथ को कहार पूरी रात कंधों पर ढोते हैं और नगर भ्रमण कराते हैं।