जौनपुर। राजनीति के गलियारे से इन दिनों खबर यह है कि मुस्लिम समुदाय, और ब्राम्हण बिरादरी भारतीय जनता पार्टी से खासा नाराज चल रहा है। भाजपा को इस बात का फर्क पड़ें या नहीं लेकिन समाजवादी पार्टी को इसका लाभ उठाना चाहिए था क्योंकि समाजवादी पार्टी से मुसलमान पहले से ही जुड़े हैं लेकिन लगता है कि वह यह मौका यूं ही जाने देना चाहती है। ये बात हम नहीं कह रहे है बल्कि इन दिनों हर जगह यही चर्चा है। बृहस्पतिवार को जारी समाजवादी पार्टी जौनपुर के नये पदाधिकारियों की सूची में सपा ने किसी विधानसभा में मुस्लिम चेहरे को और ब्राम्हण को कोई बडे पद पर नहीं रखा ना ही किसी विधानसभा का अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई । समाजवादी पार्टी और मुसलमान समाजवादी पार्टी के गठन से शिखर तक पहुंचने के सफर में मुसलमानों के समर्थन को नकारा नहीं जा सकता. विशेष रूप से वंचित मुसलमान इस पार्टी के समर्थन में निर्णायक भूमिका में रहे हैं. पिछड़े मुसलमानों जैसे अंसारी, कुरैशी, मंसूरी और अन्य कामगार जातियों ने समाजवादी पार्टी को प्राथमिक आधार पर अपनाया है. समाजवादी पार्टी को मुसलमानों का हितैषी होने का दावा रहा है. नुमाइंदगी और अवसरों के आधार पर बात की जाये तो यह सिर्फ दावा है, इसमें सच्चाई नहीं है. समाजवादी पार्टी के नेतृत्व ने सिर्फ भावनात्मक आधार पर मुसलमानों का समर्थन जुटाया है. सत्ता में रहते हुए संविधान के अनुसार समान अवसर प्रदान करने की जगह भावनात्मक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया है. जिलाध्यक्ष लालबहादुर यादव के प्रदेश कार्यालय भेजी गयी सूची पर मोहर लग गयी। सपा ने जिले की कार्यकारिणी में मुस्लिम व ब्राम्हण को नहीं जोड़ा तो आने वाले चुनाव में निश्चित रूप से इसका असर पड़ेगा। वहीं मल्हनी विधानसभा के उपचुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
गौरतलब हो कि समाजवादी पार्टी जौनपुर के जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव द्वारा बृहस्पतिवार को पार्टी की नई कार्यकारिणी घोषित की गयी। यह सूची आलाकमान ने अनुमोदित करके दी है। सूची जारी होते ही मुस्लिम समाज के लोगों को तगड़ा झटका लगा और ऐसा लग रहा है कि जिले में लगभग 10 लाख मुसलमानों को सपा अपने ने अब जोड़ने के मूड में नहीं है तभी तो सूची में नौ विधानसभा अध्यक्षों में से कहीं पर भी मुस्लिम चेहरा नहीं है। इतना ही नहीं कार्यकारिणी में भी खास चेहरों को नहीं शामिल किया है। इन सबको लेकर मुस्लिम समुदाय में खासा आक्रोश देखा जा रहा है। अब पार्टी नई कार्यकारिणी को संशोधित करेगी या नहीं यह तो समय के गर्भ में है लेकिन इस बात को लेकर पार्टी के अंदरखाने में भी चर्चा शुरू हो गयी है।