जौनपुर:आज 1जुलाई को नईगंज जौनपर में ,बहुजन मैत्रीय सम्मेलन कार्यक्रम में भंते सुमित रत्न व डॉ भीम राव अम्बेडकर के प्रपौत्र राज रत्न अम्बेडकर जी का आगमन सराहनीय रहा। कार्यक्रम का संचालन रमेश चन्द्र गौतम ,व ,इंजीनियर अशोक कुमार बौद्ध, लखनऊ, ने किया । कार्यक्रम के उद्बोद्धन में डाक्टर भीम राव अंबेडकर के प्रपौत्र राज रत्न अम्बेडकर ने कहा कि जितना जरूरी है जय भीम बोलना, उतना ही जरूरी है हम सभी बहुजन समाज, sc st obc के लोंगो को जोड़ कर एक परिवार बनाने की । यह काम हम तभी सम्भव कर सकते है ,जब sc st obc के बीच से जातियां मिटेगी , इसके लिये हमे बौद्ध धर्म अंगीकार करना पड़ेगा । आगे राज रत्न अम्बेडकर ने कहा कि मैं यह कहने नही आया हूँ कि आप किस पार्टी को वोट दे ,और किस पार्टी को वोट न दे । मैं यह कहने आया हूँ ,की बहुत संघर्स से एक वोट देने का अधिकार मिला है ,यह एक वोट देने के अधिकार की रक्षा के लिये संविधान की रक्षा करनी होगी , इसके लिये भारत देश के बहुजन समाज को भारत के सत्ता शासन पर काबिज होना होगा और यही संदेश मैं पूरे भारत मे घूम घूम कर दे रहा हूँ । और जल्द ही इस जिले में पुनः आऊंगा ,और तहसील वाइज सम्मेलन करूँगा । कार्यक्रम में भंते सुमित रत्न और राज रत्न अम्बेडकर के आने के पूर्व शुद्र राम बाबू मौर्य ने उपस्थिति लोगो को संबोधित किए। शूद्र राम बाबू ने अपने संबोधन में कहा कि यह सभा बहुजन मैत्रीय सम्मेलन के बिंदु पर रखा गया है,लेकिन ईमानदारी से गिनती कर लिया जाए ,तो 90% लोग एक जाति के यहां है ,क्या कोई बता सकता है कि इस सभा मे कितने सोनकर,यादव, राजभर ,धोबी खटीक मौर्य,मल्लाह जाति के लोग मौजूद है । अगर उंगलियों पर गिनने भर के नही है तो अभी यह सभा बहुजन मैत्रीय सम्मेलन नही हुवा । बहुजन मैत्रीय सभा हमे बनानी पड़ेगी ,यह तभी सम्भव होगा,जब हम सब gskph से परिचित होंगे ।शूद्र राम बाबू ने उपस्थित लोगों से कहा, हाथ उठाइये कितने लोंगो को गोलमेज सम्मेलन के बारे में पता है , सैकड़ो के बीच में मात्र पांच हाथ,इस पर उन्होंने कहा क्या यही है हमारी 40 साल से चलाए जा रहे जागरूकता का परिणाम है ,मात्र 5 लोग । क्या इसी जागरूकता के बल पर हम बहुजन मैत्रीय सम्मेलन सफल बना पाएंगे । कतई नही बना पाएंगे । सफल बनाना है तो बाबा साहेब अंबेडकर ने जब बौद्ध धर्म ग्रहण किया था ,उसके पहले के संघर्षो को जानेंगे और समाज को जनवाएँगे ,तब बहुजन मैत्रीय सम्मेलन सफल होगा ।