गंगा जमुनी तहजीब का मरकज सिराजे हिंद कहे जाने वाला जौनपुर यूं तो औलियाओ,बुजुर्गों, ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा है, और समय-समय पर लगने वाले उर्स और मेलो में सभी समुदाय के लोग एक दूसरे के तीज त्यौहार में शरीक होते है।
अपनी पुरानी रिवायत के अनुसार गुरुवार को जौनपुर शहर के उत्तरी छोर पर स्थित हजरत हम्ज़ा चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की दरगाह शरीफ पर उनका 548 वा उर्स मुबारक अपनी पुरानी रिवायत के अनुरूप बड़े ही धूमधाम से मनाया गया, सुबह गुश्ल पाक के साथ साथ पारंपरिक चादर व गागर भी उठी इसके बाद एक मिलाद शरीफ और नात व हम्द पढ़ने का आयोजन किया गया जिसमें मौलाना कयामुद्दीन ने हजरत की सीरत पर एक बयान किया और बताया की हजरत चिस्तिया सिलसिले से समाज में फैली बुराइओ के लिए जौनपुर आए थे ,और एक समाज सुधारक के रूप में सादगी में रहकर यहां के लोगो को अच्छी शिक्षा से नवाजा,
कार्यक्रम का आगाज कारी ज़ीया ने तिलावत कलाम ए पाक से किया वही शाम को विभिन्न आए हुए कव्वालों ने एक अलग ही शमा बांधी हजरत हम्ज़ा चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की मजार पर जिले ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी जायरीन व प्रदेश भर से आए हुए अकीदतमंदों ने अपनी अपनी मुरादे मांगी ,जिनमे बच्चे बूढ़े और औरते मौजूद रही जिनका सारा इंतजाम इंतजामिया कमेटी ने किया,वहीं शहर के गणमान्य लोगों के साथ साथ मरकजी सीरत कमेटी के सदर शौकत अली मुन्ना राजा ने भी पहुंचकर चादरपोशी और गुलपोशी में शिरकत की,अंत में मुल्क में अमन व तरक्की के लिए दुआ कराई गई वहीं सुरक्षा की दृष्टि से एस पी के निर्देश पर मेले में आए हुए जायरीनों के लिए पुलिस भी लगातार चक्रमण करती रही।
इस मौके पर कमेटी की तरफ से मुख्य रूप से शब्बीर कुरेशी,अरशद कुरैशी,असलम शेर खान,रियाजुल हक,संजीव यादव,अब्बासी सज्जादा,जावेद अज़ीम,सद्दाम हुसैन,आदि लोग मौजूद रहे।