पीलीभीत में चार घंटे तक ग्रामीणों ने नहीं उठने दिया शव, अफसरों को बुलाने की मांग पर अड़े रहे

कलीनगर के मूसेपुर गांव में मंगलवार रात नेपाली हाथियों के कुचलने से ग्रामीण की मौत के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया। लोगों के गुस्से को देखते हुए वनकर्मी चौकी से भाग गए। रेंज अफसर भी मौके पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। पुलिस ने पहुंचकर ग्रामीणों से बात की, लेकिन लोगों ने अफसरों को बुलाने की बात कहकर शव नहीं उठाने दिया। रात करीब साढ़े बारह बजे एसडीएम और एसडीओ गांव पहुंचे। मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिखित आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हुए। इसके बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

माधोटांडा क्षेत्र का मूसेपुर गांव में मंगलवार रात नेपाली हाथियों ने तीन ग्रामीणों को कुचल दिया था। ग्रामीण जंगल के रास्ते से गांव की ओर जा रहे थे। हमले में रमेश (42) की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि गांव के ही बाबूराम और सुरेंद्र लाल गंभीर घायल हो गए। घायल को पीलीभीत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। लोग इकट्ठा हो गए।

आसपास गांव के लोग भी मौके पर पहुंच गए। करीब एक घंटा बाद माधोटांडा पुलिस मौके पर पहुंची। ग्रामीणों के गुस्से को देखकर एक किलोमीटर दूर स्थित वन चौकी से वनकर्मी भाग गए। रेंज अफसर भी मौके पर आने से डरते रहे। पुलिस ने क्षेत्रीय प्रधान के माध्यम से परिजन और ग्रामीणों को समझाया लेकिन ग्रामीण वन अफसरों को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े रहे।

एसओ अचल कुमार ने मोबाइल से वन अफसरों की परिजन से बातचीत कराई, लेकिन परिजन नहीं मानें। करीब चार घंटे बाद रात करीब साढ़े बारह बजे एसडीओ मयंक पांडे मौके पर पहुंचे। पीछे से एसडीएम आशुतोष गुप्ता भी आ गए। परिजनों से बातचीत कर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया, ग्रामीणों ने नौकरी और मुआवजे के लिए लिखित आश्वासन देने की बात कही। इस पर एसडीओ की ओर से परिवार के एक सदस्य को नौकरी और मुआवजे का लिखित आश्वासन दिया गया। तब जाकर ग्रामीण के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका।

बाबूराम की हालत गंभीर
घायलों में बाबूराम की हालत गंभीर बताई जा रही है। जबकि सुरेंद्र लाल की स्थिति कुछ सामान्य है। पूरनपुर के बाद रात को ही घायलों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। इसके बाद परिजन ने प्राइवेट अस्पताल में उपचार करने की इच्छा जाहिर की। जिस पर मुख्यालय के ही एक प्राइवेट अस्पताल में बाबूराम का उपचार कराया जा रहा है। बाबूराम के सिर के अंदरूनी भाग में खून का थक्का जमने से उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।

अभी भी बराही रेंज के जंगल में डेरा जमाए हैं हाथी
ग्रामीण पर हमले की घटना के बाद से हाथी मूसेपुर गांव के क्षेत्र में स्थित बराही रेंज के जंगल के एक हिस्से में डेरा जमाए हुए हैं। ग्राम प्रधान दलबीर सिंह का कहना है कि बुधवार सुबह भी हाथियों की मौजूदगी दिखाई दी। हालांकि घटना के बाद सुबह से वनकर्मियों की टीम हाथियों की निगरानी में जुटी हुई है। क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

टाइगर रिजर्व में वन वाचर रहा था मृतक, कोर्ट में विचाराधीन है मामला
परिजनों ने बताया कि रमेश पूर्व में पीटीआर में वाचर था। करीब 10 साल तक नौकरी भी की। समान वेतन पर आने के बाद भी विभाग ने वन रक्षक की नौकरी नहीं दी। आठ साल पहले वाचर पद से भी हटा दिया। इसको लेकर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। इसी का हवाला देकर परिजन परिवार के किसी सदस्य को विभाग में नौकरी देने की गुहार लगाई है। रमेश के परिवार में पत्नी के अलावा तीन छोटी पुत्रियां और दो पुत्र हैं।

परिजन की बात सुनकर नियमानुसार मदद का आश्वासन दिया है। हाथियों की निगरानी के लिए टीमें लगाई गई हैं। – मयंक पांडे, एसडीओ