मैनपुरी में हैवान पिता ने एक साल की बच्ची के साथ की क्रूरता, पीट-पीटकर तोड़े दोनों हाथ; मासूम ने तोड़ दिया दम

मैनपुरी में एक साल पहले पैदा हुई अंजू को महज चार महीने ही अपनों का साथ नसीब हुआ। जब वह केवल दस दिन की थी तभी वह अपनों से बिछड़ गई थी। दरअसल उसे दो भाइयों के साथ बेच दिया गया था। आठ माह बाद वह अपनी मां से दोबारा मिल पाई थी। लेकिन, किसी को कहां पता था कि ये साथ भी महज चार महीने का ही होने वाला था। चार महीने में ही अंजू इतना दर्द सहकर इस संसार से हमेशा के लिए विदा हो गई।

शहर कोतवाली क्षेत्र के गांव हविलिया निवासी रीता देवी पत्नी प्रमोद कुमार के चार बच्चे हैं। इसमें सबसे बड़ी बेटी अंजना छह साल, बेटा कृष्णा तीन और जुड़वां बच्चे अंजू और कन्हैया एक साल के हैं। अंजू और कन्हैया जब महज दस दिन के थे तो उन्हें और कृष्णा को बेच दिया गया था। मां रीता देवी का आरोप था कि उसके पति और ससुरालीजन ने ही उन्हें बेचा था।

इसके बाद मां रीता देवी की शिकायत पर कानपुर पुलिस ने तीनों को अलग-अलग स्थान जालंधर, हरिद्वार और पानीपत से बरामद कर बाल कल्याण समिति सोनभद्र को सौंपा था। इसके बाद बाल कल्याण समिति मैनपुरी के माध्यम से तीनों बच्चे मां रीता देवी को सुपुर्द किए गए थे।

आठ माह के इंतजार के बाद जब बच्चे मां रीता देवी को मिले थे तो उसे लगा जैसे उसके बच्चों को जीवनदान मिल गया। लेकिन उसे क्या पता था कि अंजू और उसका साथ महज चार महीने का ही है। तीन माह बाद ही पिता ने मारपीट कर चारों बच्चों और रीता को घर से निकाल दिया।

घायल बेटी अंजू का वह यहां-वहां उपचार कराती रही। लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। शनिवार को सुबह सैफई मेडिकल कॉलेज में अंजू हमेशा के लिए संसार को अलविदा कह गई। एक साल की अंजू महज चार महीने ही अपनी मां के पास रह सकी। अंजू की मौत के बाद बिलखती मां को यही मलाल है कि उसकी बेटी अपने जीत जी भी अपनों के साथ न रह पाई।

गर्भवती है रीता देवी
रीता देवी और उसके बच्चों के पास न तो सिर छिपाने के लिए छत है और न ही भरपेट भोजन की व्यवस्था। रीता का पति और ससुरालीजन पहले से ही उसे घर से निकाल चुके हैं। एक नन्हीं जान और भी है जो अभी इस सबसे बेखबर है। दरअसल रीता देवी के गर्भ में पांचवां बच्चा भी पल रहा है। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष मंजू चतुर्वेदी ने बताया कि रीता गर्भवती है। ऐसे में समिति को भी अब बाकी बच्चे बच्चों के साथ ही रीता देवी और गर्भस्थ बच्चे की चिंता सता रही है।

मासूमों को नहीं पता कहां चली गई अंजू
अंजू की मौत के बाद उसके तीन मासूम भाई बहिन भी गुमसुम हैं। मां को रोता बिलखता देख कभी वे भी साथ रोने लगते हैं तो कभी चुप हो जाते हैं। बीच-बीच में बड़ी बेटी अंजना भी मां से अंजू के बारे में पूछती है। मां उन्हें बताती है कि अब अंजू इस दुनिया से चली गई है।