‘चीन अरुणाचल ही नहीं, जम्मू- कश्मीर या कहीं भी इंडिया के खिलाफ कुछ दावा करता है तो हम लोग इंडिया के साथ खड़े रहते हैं

अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा की दो सीटें हैं। दोनों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। अभी अरुणाचल में BJP की सरकार है। लोकसभा की दोनों सीटों पर भी BJP के सांसद हैं। अरुणाचल पर चीन के दावे की खबरें चल रही हैं, इसलिए दैनिक भास्कर चुनावी माहौल जानने राजधानी ईटानगर पहुंचा। लोगों और एक्सपर्ट्स से बात करके समझा कि चीन यहां कितना बड़ा मुद्दा है।
हम मेघालय, मिजोरम भी गए और समझा कि यहां हवा का रुख क्या है। मेघालय में लोकसभा की दो और मिजोरम में एक सीट है।
अरुणाचल पश्चिम सीट से BJP ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को टिकट दिया है। यहां उनका मुकाबला पूर्व CM और कांग्रेस कैंडिडेट नबाम तुकी से है। 2019 में भी दोनों आमने-सामने थे। तब रिजिजू ने 1,74,843 वोट से चुनाव जीता था। वे 2014 और 2004 में भी सांसद चुने गए थे।
दूसरी सीट अरुणाचल पूर्व पर BJP के तापिर गाओ का मुकाबला कांग्रेस के बोसीराम सिरम से है। तापिर गाओ अभी इसी सीट से सांसद हैं। राज्य में कांग्रेस के कमजोर होने की वजह से BJP की जीत तय मानी जा रही है।
अरुणाचल प्रदेश में BJP के वाइस प्रेसिडेंट तार तारक कहते हैं, ‘अरुणाचल में टक्कर देने वाला विपक्ष ही नहीं है। देश की एक नेशनल पार्टी कांग्रेस का अरुणाचल में वजूद खत्म हो गया है। हमारे लिए इस चुनाव में कोई चुनौती नहीं है। हम यहां क्लीन स्वीप करने जा रहे हैं।’अरुणाचल के लोगों से चीन पर बात की तो उन्होंने साफ कहा कि ये कोई मुद्दा ही नहीं है। उनके लिए रोजगार और पेपर लीक ज्यादा बड़े मुद्दे हैं। ईटानगर में रहने वाले सांगे कहते हैं, ‘हम लोग इंडिया को मानते हैं। इंडिया के साथ थे, हैं और रहेंगे। मैं भारत सरकार को मैसेज देना चाहता हूं कि हम लोगों को यहां डर नहीं है। अरुणाचल में हर जगह इंडिया का रूल चल रहा है।’
ईटानगर में ही मिलीं महविस कहती हैं, ‘चीन अरुणाचल ही नहीं, जम्मू- कश्मीर या कहीं भी इंडिया के खिलाफ कुछ दावा करता है तो हम लोग इंडिया के साथ खड़े रहते हैं। चीन कहता है कि वो अरुणाचल को ले लेगा। यहां के लोग चाइनीज नहीं बनना चाहते, बल्कि हमेशा इंडियन रहना चाहते हैं।’
अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। 10 अप्रैल को BJP प्रेसिडेंट जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी ने अपना मेनिफेस्टो जारी किया। इसमें लिखा है कि हर घर जल मिशन के तहत प्रदेश के हर घर में नल से पानी दिया जा रहा है।
हालांकि ईटानगर से 8 किमी दूर बेधि बेधा गांव में ये दावा गलत साबित हो गया। यहां योजना के तहत नल तो लगे, लेकिन दो महीने से पानी नहीं आया है। बेधि बेधा गांव पापुम पारे जिले में आता है। यहां के विधायक टेकी कासो इस बार निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं। 60 विधानसभा सीटों में से 10 पर BJP निर्विरोध जीती है। इनमें मुख्यमंत्री पेमा खांडू की सीट भी शामिल है।
पापुम पारे को सरकार ने स्टार रेटिंग दी है। ये रेटिंग उन जिलों को दी जाती है, जहां सरकार मानती है कि पानी की सुविधाएं दुरुस्त हैं।
गांव में रहने वालीं नाबम मैत्री कहती हैं, ‘सरकार ने पानी का पाइप तो दिया था, लेकिन उसमें एक बार ही पानी आया। 2 महीने से पानी नहीं आया है। हमारे पास कुआं है, लेकिन कई बार उसमें भी पानी खत्म हो जाता है। हमें बाहर से टैंकर मंगाना पड़ता है।’
नाबम के पति तालुक हमें कुआं दिखाने ले जाते हैं। सरकार की तरफ से लगा नल दिखाते हुए कहते हैं, ‘मैं पहले पहाड़ पर रहता था और नदी का पानी पीता था। अब कई बार ऐसा मौका आ जाता है, जब पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।’
गांव में रहने वाली याते नाबम सरकारी अधिकारी हैं। विधायक के निर्विरोध जीतने पर वे कहती हैं, ‘पानी की समस्या हटा दी जाए तो BJP ठीक काम कर रही है। इसलिए उसके कैंडिडेट विधानसभा के लिए निर्विरोध चुने गए हैं।’
अरुणाचल में पेपर लीक बड़ा मुद्दा है। स्टूडेंट इसके विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। ये मामला 2023 में सामने आया था और CBI इसकी जांच कर रही है। वो इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर कर चुकी है।
तवांग जिले के सांगी लंगतेन BA कर रहे हैं। वे डेरा नाटुंग गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ते हैं। वे कहते हैं, ‘दो साल से पेपर लीक हो रहे हैं और सरकार कोई हल नहीं निकाल पाई है।’
पॉलिटिक्स के स्टूडेंट छगम सोनम कहते हैं, ‘पेपर लीक बड़ा मुद्दा है। पूरे अरुणाचल में इसके खिलाफ प्रोटेस्ट हुआ तो सरकार ने कहा था कि ये मुद्दा सॉल्व करेगी, लेकिन अब तक नहीं किया। मुझे लगता है कि पेपर लीक का असर इस चुनाव में पड़ेगा।’
अरुणाचल प्रदेश में BJP के वाइस प्रेसिडेंट तार तारक पेपर लीक के सवाल पर कहते हैं, ’इस पर कोई बात नहीं करनी है और न ये मुद्दा है।’
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता कौन जिरजो कहते हैं, ‘BJP सिर्फ जुमले बोलकर सरकार में आती है। चीन पर प्रधानमंत्री चुप क्यों रहते हैं। उन्हें जवाब देना चाहिए, लेकिन सरकार चुप्पी साधे हुए है। चीन हमारी एक इंच जमीन नहीं ले सकता, लेकिन PM को चुप्पी तोड़कर उसे जवाब देना चाहिए।’
अरुणाचल विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर नानी बाथ मानते हैं कि चीन और पेपर लीक चुनाव में मुद्दा नहीं बनेगा। वे कहते हैं, ‘पेपर लीक से BJP को ज्यादा से ज्यादा 5 से 10 हजार वोट का फर्क पड़ेगा। इससे ज्यादा ये चुनाव में मायने नहीं रखेगा। चीन चाहे अरुणाचल पर सुर्खियां बटोर रहा हो, लेकिन अरुणाचल के लोगो को इससे फर्क नहीं पड़ता। न ही उनके लिए ये मुद्दा है।’
मिजोरम की राजनीति सेट पैटर्न पर चलती है। यहां जो पार्टी विधानसभा चुनाव जीतती है, वही लोकसभा चुनाव में भी जीतती है। मिजो नेशनल फ्रंट, कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट यहां की बड़ी पार्टियां हैं।
दिसंबर, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में MNF हार गई और जोरम पीपुल्स मूवमेंट सत्ता में आई। मिजोरम में एक लोकसभा सीट है। यहां से ZPM ने रिचर्ड वानलालहमंगइहा को टिकट दिया है। उनका मुकाबला BJP के स्टेट प्रेसिडेंट वनलालहुमुआका से है।
मिजोरम में 2008 से 2018 तक कांग्रेस की सरकार रही। इसके बाद पार्टी कभी सरकार नहीं बना पाई। कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट लालनुनमाविया चुआंगो कहते है कि हमारे खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी, जो अब खत्म हो गई है। इस बार पार्टी जीत के लिए कॉन्फिडेंट है। कांग्रेस ने यहां से विधानसभा अध्यक्ष लालबियाकजामा को उतारा है।
​​MNF के वाइस चेयरमैन पब्लिसिटी बोर्ड सोम कहते हैं, ‘मिजोरम में हमेशा से कांग्रेस और MNF पार्टी सत्ता में रही हैं। इस बार ZPM सत्ता में आई है। 100 से ज्यादा दिन हो गए, लोगों को अंदाजा हो गया है कि ZPM लोगों के लिए काम नहीं करेगी और हमारे प्रतिनिधि के. वनलालवेना तो राज्य सभा मेंबर हैं। उन्हें पहले से लोगों के लिए काम करने का अनुभव है। वे बहुत ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीत रहे हैं।’
पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजीव भट्टाचार्य कहते हैं, मिजोरम में विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी ही लोकसभा चुनाव में जीतती है। यहां अभी ZPM सत्ता में है। इस लिहाज से लोकसभा सीट पर भी उसी के जीतने के चांस ज्यादा हैं।
जोरम के लोगों से बात करके पता चलता है कि उन्हें लोकसभा चुनाव से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। यहां लोग राज्य के चुनावों में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। लोगों को सरकार से न ज्यादा शिकायत है और न यहां देश में चल रहे मुद्दों का असर है। यहां लोकल मुद्दे ही चुनाव में हावी हैं।
इनमें एक टैक्सी ड्राइवरों का मुद्दा है। मिजोरम की आबादी में करीब 90% ईसाई हैं। यहां लोग रविवार को काम नहीं करते। यहां हफ्ते में 4 दिन ही टैक्सी चलाई जा सकती है। ये भी सरकार तय करती है कि किस दिन कौन सी टैक्सी चलेगी। इसके लिए गाड़ियों को A,B,C नंबर दिए गए हैं। इनमें कैब और बाइक दोनों हैं। टैक्सी ड्राइवर इसी सिस्टम से नाराज हैं।
बाइक टैक्सी चलाने वालों के संगठन से जुड़े बुच्छामा कहते है, ‘हम ऑनलाइन बुकिंग नहीं करते। हमें सिर्फ फोन पर बुकिंग मिलती है। उस पर भी हम सिर्फ 4 दिन बाइक चला सकते हैं। इतनी कमाई से घर नहीं चलता। हम नेताओं को बता चुके हैं, लेकिन कोई मदद नहीं करता।’
‘हम एक दिन में 1500 से 2000 रुपए कमा लेते हैं। महीने का एवरेज 25 से 30 हजार हो जाता है। 4-5 लोगों के परिवार में 30 हजार में गुजारा नहीं होता। न विधानसभा में, न लोकसभा में हमारे लिए किसी ने आवाज उठाई है।’मेघालय में BJP अपने कैंडिडेट नहीं उतार रही है। पार्टी यहां रीजनल पार्टियों को समर्थन दे रही है। मेघालय में अभी नेशनल पीपुल्स पार्टी, यानी NPP की सरकार है। NPP ने दोनों सीटों शिलॉन्ग और तुरा पर कैंडिडेट उतारे हैं।
शिलॉन्ग सीट से NPP ने कैबिनेट मिनिस्टर माजेल अम्पारीन लिंगदोह को उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस की विंसेंट पाला से है। तुरा सीट से कांग्रेस की ओर से सालेंग ए. संगमा मैदान में हैं। उनके सामने नेशनल पीपुल्स पार्टी से अगाथा संगमा हैं। यहां से TMC ने जेनिथ संगमा को टिकट दिया है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजीव भट्टाचार्य के मुताबिक, इनमें शिलॉन्ग सीट कांग्रेस जीत सकती है।
असम और मेघालय आपस में बॉर्डर शेयर करते है। मेघालय में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। मेघालय में दो समुदाय हैं गारो और खासी। यहां ज्यादातर लोग धान की खेती करते हैं।
असम-मेघालय बॉर्डर पर मिले जोतिन बताते हैं, ‘मैं भले ही नेपाली हूं, लेकिन काफी समय से मेघालय में नौकरी कर रहा हूं। मैं यहीं का वोटर हूं। वोटिंग के लिए मुद्दे तो बहुत हैं, लेकिन महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है। हम महंगाई को देखकर ही वोट देंगे।
जोतिन किसान हैं और धान की खेती करते हैं। खासी जनजाति से आते हैं। उनके परिवार में 10 लोग हैं, जिनमें से 6 उन पर निर्भर हैं। जोतिन एक दिन में 500 से 600 रुपए कमाते हैं। जोतिन के पास BPL कार्ड है, लेकिन इस पर सिर्फ चावल मिलता है।
दिसंबर, 2023 में हुए चुनाव में जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने मिजोरम में सरकार बनाई है। पार्टी लोकसभा चुनाव में भी जीतने का दावा कर रही है। राज्य के मंत्री लालनघिंगलोवा हमार का कहना है कि लोगों को हम पर भरोसा है। हम विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव भी जीतेंगे।